कोई गिरा पड़ा हैं रास्ते में
पर हमें देर हो रही हैं
तभी हो गया तमाशा रास्ते में
अब ऐसी भी क्या देर हो रही हैं
क्यों न मजा लिया जाए तमाशे का
किया जाए दिल को खुश
किस दिल को खुश किया जा रहा हैं
में ये समझ नही पा रही हूँ
गर दिल हैं ही
तो क्यों रोते को देख रोना न आया
घायल को देख क्यों न दिल पिघलाया
दीन दुखी इतने हैं दुनिया में
क्यों न उन्हें गले से लगाया
दिल होता तब न.
दिल तो अब लुप्त हो रहा हैं
डार्विन का सिद्धांत सिद्ध हो रहा हैं
हमारे ढांचे से गायब होता दिल
चिल्ला चिल्ला कर बता रहा हैं की
अब हमे दिल की जरूरत ही नही
बिना जरूरत की चीजें हम रखते नही
हमे तो बस दिमाग चाहिए
सारे काज कर लेते हैं अब हम दिमाग से
शायद अब भगवन भी बनाएगा
बिना दिल का इन्सान
Friday, April 9, 2010
बिना दिल का इन्सान
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 11:27 PM
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57 टिप्पणियाँ:
bilkul haqikat...
ekdum sachhai bhari kavita...padhkar achha laga....
mere blog par bhi jaroor aayein....
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
अच्छा कहा है ... अच्छा प्रयोग है ... सच में आज दिल का इस्तेमाल नही के बराबर है ... धीरे धीरे लुप्त हो जाएगा ...
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! लाजवाब प्रस्तुती! बहुत बहुत बधाई!
जबरदस्त अभिव्यक्ति .....आज के समय में न जाने दिल ऐसा क्यूँ हो गया है /..
very well written
एक अनुभवों कि गीत है ये जिंदगी || आपने जो दिल के एहसासों की अभिव्यक्ति जो इतनी ख़ूबसूरती से किया है,
वाकई में प्रशंसनीय है....बहुत खूब..सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है/
जितना भी कहू बहुत कम है..बस इतना जरुर कहुगा की और लिखिए आप....
जय श्रीकृष्ण....
सुंदर कविता...अनूठे विचार... इस जमाने में दिल की दिमाग मानता नहीं, दिमाग की दिल सुनता नहीं.
dimpal ji ..fir shayad aap ne vo vishay chuna hai jo har roj har vykti ke sath ghatit haota par ...sari khoobi to uski vyakhya karne ki kala me hai ..vah aapko sarswati maa ne di hai ...uttam rchna gahan vichar ...!!!
wishing you the look ...
the enchantment of life!
that you have at heart ...
the fullness of Love!
is that you believe in the greatness of God
destination in the world, the beauty of life
in dreams and hope!
काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।
कोई गिर पड़ा रस्ते में,
हमें देर हो रही है.
तभी हो गया तमाशा
पर देर हो रही है.
थोड़ा मजा लिया ही जाए
खुश दिल को किया ही जाए.
किस दिल की करें बातें
दिल कहाँ खो गया है,
ढूंढ़े भी ना मिलेगा.
दिल लुप्त हो गया है.
ग़र दिल ही होता भीतर
तो समझ जाता पीड़ा,
रोते को देख रोता,
घायल जगाता पीड़ा.
दुखियों से भरी दुनिया
उनको गले लगाऊँ
दिल हो गया है ग़ायब,
किस किस को ये बताऊँ.
सिद्दांत डार्विन का
माने ये दुनिया सारी,
चाहें दिमाग सारे,
नर हो या चाहे नारी.
होते हैं सारे काज,
अब केवल दिमाग़ - ए - शान,
भगवान् भी घड़ेगा,
इन्सां केवल दिमाग़ के....
इसे आप ठीक समझें तो काम में लें...मेरे द्वारा आपकी कविता "बिना दिल का इन्सान " को सम्पादित किया गया है...
धन्यवाद..दीनदयाल शर्मा.
बहुत संवेदनशील रचना ....सटीक और सार्थक....
Speechless............This poetry penetrates my heart...its astonisnig...its brutal truth....it help me analysing my human quality.
बेहद सुंदर रचना जिसके माध्यम से अति संवेदनशील और सोचनीय मुद्दा उठाया है - हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
बढिया लिखा आपने....."
मैं और आप दोनों माँ भारत की संतान हैं .इससे बड़ी खुशी क्या होगी ?
मेरे ब्लॉग पर पधारने और टिप्पणी के लिए अनेकों धन्यवाद !
eksachche dil se nikali dil ki awaj .bahuthitathypurn abhi vykti.
इतनी कम पंक्तियों में एक लम्बी दास्ताँ वाह वाह !!!!बहुत संवेदनशील रचना
बहुत खूब
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जबरदस्त रचना
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी.
bahut achcha laga aapke blog par aa kar.....
बहुत ख़ूबसूरत रचना ...
gazzab ka likhte ho sirji tucchhi glate to jahapanah bus tohfa mat maangna.
bus blog ka thoda colour change kar dijiye maja aa jayega
vaise dil to bachcha hai ji dimag hi kharab ho gaya hai jamane ka
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...
Hello Dimpal :)
It is very sensitive topic and you have projected so nicely with all emotions!!
This is the 1st time I read your compositions and they are too good...
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
mja nai aaya starting thik tha...bt topic was nice.
hey dimpi plz ek bar to bat kar lo na~~~~sory
डिम्पल,
सच कहा आपने...
शायद सभी रोबोट हो गए हैं!
दिमाग का उपयोग करते करते दिल की
भावनाओं को कहीं दफ़न कर दिया मानो...
तमाशाई सब बनना चाहते हैं हमदर्द कोई नहीं...!!!
mere blog par aapki tippaniyon ka intzaar rahega....
mere blog par is baar..
नयी दुनिया
jaroor aayein....
hi
nai kavita....sahi hai..dil is nw out of the scene.bt still we need it to live an healthy life.
नहीं डिम्पल जी ऐसा भी नहीं हैं ,बहुत से लोग निष्काम भाव से समाजिक कार्यों को करते हैं , और बे दिल एबम दिमाग दोनों रखते हैं ,बस कभी जो हम देखत हैं वो होता नहीं हैं .और जो होता हैं वो हम देखते नहीं हैं
बैसे सुन्दर प्रस्तुति आपकी ,सब्दो को अच्छा पिरोया गया हैं
नहीं देते हैं लोग दिल का साथ अब क्योकि दिल नहीं जाने देता उनके मुह मैं निवाला
दिल की बातों से वो करते हैं परहेज ,क्योकि वो नहीं साब जगह काम आने वाला
आज आपकी कविता पढ़कर बाबा भारती की याद आ गयी. शायद उनकी बात आज की हकीकत बनती जा रही है.
khoob achcha likhti hain aap.wah.
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया... पढ़ा... सीधी बात, बिना लाग लपेट के... निर्मल रचना है... बधाई स्वीकारें...!!
बधाई!
जिसको पढ़ करुणा के अंकुआएं बीज।
सही अर्थ में होती कविता वो चीज॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
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aaj kal shayad bahut busy hain aap...
aapki koi nayi rachna nahi mili padhne ko....
intzaar hai...
aur haan mere blog par nayi kavita bhi intzaar hai..
jaroor aayein....
kavita samvednaaon ki gahrai me doobi hui hai.... very nice
dhanyvad.
डार्विन का सिद्धांत सिद्ध हो रहा हैं
हमारे ढांचे से गायब होता दिल.एहसास की यह अभिव्यक्ति .................बहुत ख़ूब ...बहुत ख़ूब.एहसास.........
beshak bahot khoob alfaaz rakam kiye hai
मुझे फूँकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मेरे साथ जल न जाये
परमात्मा कभी किसी का बुरा नहीं चाहता, अगर हमारे मन का हो तो अच्छा, नहीं हो तो और अच्छा क्योंकि फिर वो भगवान का चाहा होता है और भगवान कभी गलत फैसले नहीं करता है। इस कारण अपनी जरूरतों को भी कभी-कभी उसके फैसले के अनुसार ढाल लेना ठीक है। ईश्वर और हमारे बीच एक अघोषित समझौता काम कर रहा होता है। भक्त भगवान से कभी-कभी शिकायत करता है कि हमने इतनी मारा-मारी मचा रखी है फिर भी हमारे चाहे काम नहीं हो रहे? अब आइए परमात्मा क्या कह रहे हैं यह भी समझ लें। उनका हमसे कहना है कि तू वो करता है जो तू चाहता है, पर होता वह है जो मैं चाहता हूं। तो सुन अब तू वो कर जो मैं चाहता हूं तो फिर होगा वही जो तू चाहता है। इसलिए हमारी चाहत और भगवान को फैसलों का तालमेल, समझ तथा समर्पण के साथ बैठाए रखना चाहिए। यहीं से हमारे मनपसंद परिणामों के मायने बदल जाएंगे और हम हमेशा खुश रह सकेंगे।
सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है
सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है
बहुत खूब लिखा है | दिल के अहसास को बयां करने का अंदाज़ पसंद आया | शुभकामनायें ऐसे ही लिखती रहिये |
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आयें -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
SAch me bai achi thi BINA DIL KA INSAN and badi true hai hum tu emotional ho gay seriously .............Raj.
आपकी हर रचना में मानवीय संवेदनाओं के ह्रास पर रोष दिखाई देता है....काश सभी अपने हिस्से की संवेदना बचा के रखे ....ये दुनिया एक बेहतर जगह बन जायेगी.....
You are a good writer. Keep it up and keep going.
किस दिल को खुश किया जा रहा हैं
में ये समझ नही पा रही हूँ
गर दिल हैं ही
....बहुत खूब लिखा है |
Gгеat blog уоu've got here.. It’s hard to find excellent writing like yours nowadays. I seriously appreciate individuals like you! Take care!!
Have a look at my web blog: eca stack results
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