एक मासूम बच्चे की , खिलखिलाहट
पेड़ के सूखों पत्तों की , सरसराहट
दोनों के मिलन से, हुआ संगीत का सृजन
दबे होठों से निकले, उस "बोल" को सुन
झरने का बहता पानी, बुनने लगा धुन
बिन बारिश ही, भीगे सबके बदन
कंपकंपी सी छूटी, नाचे मयूरी मन
बाग़ में कलियाँ, एक साथ खिलने लगी
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !
Wednesday, July 20, 2011
" आखिर मिल ही गये "
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 11:36 AM
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46 टिप्पणियाँ:
किनारे उद्गम में साथ थे, अन्त में लुप्त हो गये, यही जीवन है संभवतः।
Beautiful and Eternal lines
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !
खूब ......एक बेमिसाल रचना
कई महीनो के बाद आपके ब्लॉग पर पोस्ट देखी है जैसे गर्मीओं के बाद सावन.........बहुत सुन्दर पोस्ट|
Touched.Keep it up.
Bahut hi khubsurt panktiya he
Man harshvibhor ho gayaa
वाह! बहुत खूब.
शानदार अभिव्यक्ति की है आपने.
शब्दों से संगीत उत्पन्न हो रहा है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
सुंदर भाव की अभिव्यक्ति।
सम्प्रेश्नियता की हदों के पार सुन्दर अभिव्यक्ति प्रकृति सी ही मनोरम.
thts ri8 and nice written....
thts ri8 and nice written....
दो नदी के किनारे आखिर मिल ही गए , सुंदर अभिव्यक्ति ,, आप ऐसे ही लिखती रहे ,
शोखी, सादगी, सरलता, चुलबुलापन, और मन की शान्ति, सारी अभिव्यक्तियाँ एक साथ.... वाह वाह... बहुत अच्छी रचना है... आपको इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.....
बहुत सुन्दर, बेमिसाल भावाभिव्यक्ति।
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
बहुत समय बाद आपके ब्लॉग पर आ पाया
"सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये!"
सुखद अनुभूति - बधाई
बहुत खूब...
aap bahut achha likhte ho sach mein bahut sunder likha hai
aap bahut achha likhte ho sach mein bahut sunder likha hai
सुंदर भावाभिव्यक्ति.
wow realy so nice poem yar swthrt *aakhir mil hi gayi*
hmmmm aese hi likhti rhna mera aashirwad tere sath h lol...
Nice1 dimpy
jordar yar dd
kya khati ho
आप तो बहुत प्यारा लिखती हैं...बधाई.
_________________
'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आइयेगा.
sundar rachana
kya likhoon, sab kuch to likh diya aapne....
....har lafz dil ke ander pighalta-ghulta hua...
झरने का बहता पानी, बुनने लगा धुन
बिन बारिश ही, भीगे सबके बदन
कंपकंपी सी छूटी, नाचे मयूरी मन
बाग़ में कलियाँ, एक साथ खिलने लगी
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
सुंदर भावाभिव्यक्ति...
बहुत उम्दा और भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!!
Bahut hi khoob....
bas wah-2 karne ko jee chahta hi.
अगर दो किनारे मिल जाएं तो फिर बात ही क्या ... पर प्रेम मैं ऐसा हो सकता है ...
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !
bahut madhur milan hai dimple
ati sundar...
मुबारक हो!
कितनी खूबसूरत बात लिखी है| जैसे कोई खोई हुई चीज़ दुबारा मिल गयी है|
बहुत दिनों के बाद अपने पोस्ट किया, और बेहतरीन किया|
वाह ,. प्रेम से भरी हुई सुन्दर कविता .. दिल को लुभाती हुई .. बहुत ही सुन्दर शब्द..
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
It's rocking lyrics. I enjoyed to read this topic. It's great stuff.
bahut khoobsoorat prastuti
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हु
सुन्दर और बेहतरीन रचना और बहुत ही अच्छा लिखा है आभार
kya baat hai...splendid
खूबसूरत........................
वाह बहुत खूब ,
यूँ ही लिखते रहिये ||
आप बहुत ऊपर तक जाएँगी !!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.सुन्दर प्रस्तुति.
Ahha...awesome!
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !
kinare sadiyon se milate aur bichadate rahe hain dimpal ji fir bichhadana dukhad aur milana sukhad hota hai....filhal ak beharareen rachana ....badhai ke sath abhar bhi
आगामी शुक्रवार को चर्चा-मंच पर आपका स्वागत है
आपकी यह रचना charchamanch.blogspot.com पर देखी जा सकेगी ।।
स्वागत करते पञ्च जन, मंच परम उल्लास ।
नए समर्थक जुट रहे, अथक अकथ अभ्यास ।
अथक अकथ अभ्यास, प्रेम के लिंक सँजोए ।
विकसित पुष्प पलाश, फाग का रंग भिगोए ।
शास्त्रीय सानिध्य, पाइए नव अभ्यागत ।
नियमित चर्चा होय, आपका स्वागत-स्वागत ।।
आप बहुत अच्छा लिखते हो!
मिलना ... यानि मुक्त हो जाना
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