महिला दिवस पर एक महिला की दिल की ज़ुबानी --- उन्मुक्त आकाश मैं उड़ने की चाहत हमेशा से रही हैं दिल में, जिंदगी को अपने दम पर जीने की जिद हमेशा ही की हैं, बेखौफ़ रहना हैं दुनिया से, मन्मार्जियां चलना हैं, अपने हक़ और आजादी के लिए हर कदम लड़ना हैं, अपनी इस हक़ की लड़ाई में विरोध में खड़े लम्बे जुलूस में सबसे ज्यादा चेहरे महिलाओं के ही दिखते हैं.……उन सभी महिलाओं को महिला दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें -- डिम्पल
Saturday, March 8, 2014
मेरी कल्पना के पन्नों से......
मेरी कल्पना के पन्नों से......
आज मेरी डायरी के हर राज खुलेंगे
हर पन्ने के लफ्ज, दिल की बात कहेंगे सर्द दुपहरी में कांपते कदम बढ़े तेरी और
पाया बुखार में तड़पता अलाव तापता
मेरी नजरों ने देखा कि लकड़ी खत्म होने को हैं
तेरी नज़रों ने देखा कि मेरे हाथ में एक डायरी हैं
डायरी का पन्ना - पन्ना स्वाहा हो गया
कुछ इस तरह इश्क़ मेरा बयां हो गया।
दिल से ..... डिम्पल
आज मेरी डायरी के हर राज खुलेंगे
हर पन्ने के लफ्ज, दिल की बात कहेंगे सर्द दुपहरी में कांपते कदम बढ़े तेरी और
पाया बुखार में तड़पता अलाव तापता
मेरी नजरों ने देखा कि लकड़ी खत्म होने को हैं
तेरी नज़रों ने देखा कि मेरे हाथ में एक डायरी हैं
डायरी का पन्ना - पन्ना स्वाहा हो गया
कुछ इस तरह इश्क़ मेरा बयां हो गया।
दिल से ..... डिम्पल
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 1:34 AM 4 टिप्पणियाँ
स्यापा
दस साल से देश का स्यापा ही तो हो रहा था और अब विकल्प के रुप में तानाशाह का चेहरा सामने आ रहा, तभी किसी आम ने उम्मीद की किरण जगायी पर कुछ दिनों से वे भी खास नज़र आने लगे हैं और इन सबसे अधिक भरोसेमंद साथी ने बंगाल की राजनीति की ओर रूख कर लिया हैं, क्या होगा मेरे देश का ?
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 1:32 AM 0 टिप्पणियाँ
Tuesday, February 25, 2014
शब्दों की गुत्थमगुत्थी
शब्दों की गुत्थमगुत्थी मैं, यूँ न उलझाओ ,
बह जाने दो मुझे ....... भावों की सरिता में।
होंगे तुम अथाह सागर बेइन्तहा मोहब्बत के ,
में बारिश कि पहली बूँद, चाहत बनी चाकोर की।
तुम वाह -वाही लूटने वाले शेर, कथा कहने वाले लेख ,
में कविता सादगी भरी, में ही ग़ज़ल तेरे अधरों की।
में हवा का झोंका हूँ , तूफ़ान भी हिला न पाएगा ,
गगन सी ऊंचाइयों पर रहकर भला .......
धरती से मिलन कैसे कर पाओगे ??????
बह जाने दो मुझे ....... भावों की सरिता में।
होंगे तुम अथाह सागर बेइन्तहा मोहब्बत के ,
में बारिश कि पहली बूँद, चाहत बनी चाकोर की।
तुम वाह -वाही लूटने वाले शेर, कथा कहने वाले लेख ,
में कविता सादगी भरी, में ही ग़ज़ल तेरे अधरों की।
में हवा का झोंका हूँ , तूफ़ान भी हिला न पाएगा ,
गगन सी ऊंचाइयों पर रहकर भला .......
धरती से मिलन कैसे कर पाओगे ??????
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 4:28 AM 3 टिप्पणियाँ
Friday, February 14, 2014
मेरी कल्पना के पन्नो से …
मेरी कल्पना के पन्नो से …
प्रेम कोई शब्द नहीं जिसे लिख पाओगे
कोई अर्थ नहीं जिसे समझ पाओगे
ये तो वीणा का सुर हैं …
बह गए तो बस बहते ही चले जाओगे
खो गए गर प्रेम में तो लौट के न आ पाओगे
कैसे मना लोगे प्रेम को एक दिन में भला
शुरू जो हुआ तो इसका कोई अंत नहीं
गुलाब-तोहफा भला कैसे इज़हार कर पायेगा
बयां जो तेरी कविता ने किया
उसका कोई विकल्प नहीं ---
दिल से --- डिम्पल
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 3:40 AM 5 टिप्पणियाँ
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