शब्दों की गुत्थमगुत्थी मैं, यूँ न उलझाओ ,
बह जाने दो मुझे ....... भावों की सरिता में।
होंगे तुम अथाह सागर बेइन्तहा मोहब्बत के ,
में बारिश कि पहली बूँद, चाहत बनी चाकोर की।
तुम वाह -वाही लूटने वाले शेर, कथा कहने वाले लेख ,
में कविता सादगी भरी, में ही ग़ज़ल तेरे अधरों की।
में हवा का झोंका हूँ , तूफ़ान भी हिला न पाएगा ,
गगन सी ऊंचाइयों पर रहकर भला .......
धरती से मिलन कैसे कर पाओगे ??????
बह जाने दो मुझे ....... भावों की सरिता में।
होंगे तुम अथाह सागर बेइन्तहा मोहब्बत के ,
में बारिश कि पहली बूँद, चाहत बनी चाकोर की।
तुम वाह -वाही लूटने वाले शेर, कथा कहने वाले लेख ,
में कविता सादगी भरी, में ही ग़ज़ल तेरे अधरों की।
में हवा का झोंका हूँ , तूफ़ान भी हिला न पाएगा ,
गगन सी ऊंचाइयों पर रहकर भला .......
धरती से मिलन कैसे कर पाओगे ??????
3 टिप्पणियाँ:
बहुत ही बढ़िया
सादर
Thank you
बहुत सुंदर.....
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