Sunday, February 28, 2010

लल्ली जने को सोच मत करो राजाजी अब के में लल्ला जनूंगी...


ऐसे रीति-रिवाज जो स्त्री वर्ग के लिए कष्टप्रद हैं, उन्हें नष्ट करने का हरसंभव प्रयत्न किया जाना चाहिए|दहेज़ एक ऐसा रिवाज हैं|इस बुराई को कानून द्वारा ही नष्ट नही किया जा सकता,इसके लिए सामाजिक चेतना और जाग्रति भी आवश्यक हैं|ये कार्य भविष्य में बनाने वाली सास अछि तरह कर सकती हैं,जिन्हें की इस रिश्वत(दहेज़)को लेने से इनकार कर देना चाहिए|दहेज़ की पातकी प्रथा के खिलाफ जबरदस्त लोकमत बनाया जान चाहिए और जो नवयुवक इस प्रकार का कार्य करे उनका मुंह काला कर के बाजार में घुमाना चाहिए और समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिए|इसमें तनिक भी संदेह नही की यह एक ह्रदयहीन बुराई हैं|जो एक नारी को कष्ट देता हैं.....क्या दुनिया की किसी भी नारी से उसका कोई सम्बन्ध नही.....उसे जन्म देने वाली कौन थी???उसे भाई कह कर पुकारने वाली....और फिर बेटी बन के उसके घर आँगन को महकाने वाली एक लड़की ही तो है.....फिर ......फिर कैसे???मुझे समझ नही आता....थोड़े से लालच के लिए इंसान इस हद तक केसे गिर सकता है..क्या उसकी बेटी या बहन कभी ससुराल नही जायेगी....???