Monday, March 8, 2010

Woman's wish on women's day


मै आज उड़ना चाहती हुं..
आसमान को छूना चाहती हुं
में हर गली में घूमना चाहती हुं
बहुत हुआ घर का काम

अब कुछ पल में
आराम चाहती हुं
छत पर बेठ कर घंटो

तारों को गिनना चाहती हुं
बन कर पंछी

आज फुदकना चाहती हुं
बहुत हो गयी डांट

हर वक्त किसी का साथ

इस पिंजरे से में
आज
छूटना चाहती हुं
हैं आंसू छिपे इन आँखों में
दिल में दर्द हैं हजार
आज में फूटना चाहती हुं
बनकर छोटी सी बच्ची

आज में उछलना चाहती हुं..

कोई निकाल सके वक्त मेरे लिए
तो में आज कुछ कहना चाहती हुं
आज प्यार भरे दो लफ्ज
में सुनना चाहती हुं
अगर सच कहूँ में आज

तो ये सच हैं के
में जीना चाहती हुं में
बस जीना चाहती हुं

पर मौत को नही
जिन्दगी को जीना चाहती हुं..
हाँ में जीना चाहती हुं..!