परिवर्तन जीवन का नियम हैं..इस तथ्य से कोई भी अपरिचित नहीं हैं......बदलाव निश्चित हैं....फिर चाहे वो कहीं भी और कैसे भी किसी भी रूप में हो.......हमे बदलाव को स्वीकार करना और उसे अपनाना आना चाहिए...नहीं तो हम पीछे रह जायेंगे......जो बदल नही सकता....झुक नहीं सकता.....वो धारा के साथ नहीं बह सकता....हमे तो धाराप्रवाह बहाना हैं ...कदम से कदम मिलाकर....तो थोडा लचीला तो होना पड़ेगा....प्रकृति भी बदलाव पसंद करती हैं.ये बात अलग हैं कि कुछ बदलाव हमने उस पर जबरदस्ती थोपे हैं जिसकी एक जबरदस्त कीमत एक दिन हमें ही चुकानी हैं....फिलहाल थोड़ी बहुत तो चुका ही रहें हैं...पर ये तो ब्याज हैं.....असल तो अब पता चलेगा....खैर बदलाव पर कुछ शब्दों का ताना बाना....
चाहे तारे चमके
चाहे चंदा चहके
चाहे हो घना अंधकार
होके रहेगा होनहार
काली रात के बाद उजली प्रभा तो आनी ही हैं
चाहे बादल गरजे
चाहे किसान तरसे
चाहे बिजली करे प्रहार
होके रहेगा होनहार
इन काली घटाओं के बाद बरखा तो होनी ही हैं
चाहे हो खाली हंसी के प्याले
चाहे खाने को पड़ते हो लाले
चाहे आँखों में अश्रुधार
होके रहेगा होनहार
दुःख कि काली छाया के बाद सुख तो आना ही हैं
चाहे बुराई रावण समान
राम आएगा धर के कमान
चाहे अधम बड़ा ताकतवर
होके रहेगा होनहार
बुराई पर अच्छाई कि जीत तो होनी ही हैं|
Monday, April 26, 2010
बदलाव
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 9:38 AM 64 टिप्पणियाँ
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