Saturday, March 8, 2014

महिला दिवस

महिला दिवस पर एक महिला की दिल की ज़ुबानी --- उन्मुक्त आकाश मैं उड़ने की चाहत हमेशा से रही हैं दिल में, जिंदगी को अपने दम पर जीने की जिद हमेशा ही की हैं, बेखौफ़ रहना हैं दुनिया से, मन्मार्जियां चलना हैं, अपने हक़ और आजादी के लिए हर कदम लड़ना हैं, अपनी इस हक़ की लड़ाई में विरोध में खड़े लम्बे जुलूस में सबसे ज्यादा चेहरे महिलाओं के ही दिखते हैं.……उन सभी महिलाओं को महिला दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें  -- डिम्पल

मेरी कल्पना के पन्नों से......

मेरी कल्पना के पन्नों से......

आज मेरी डायरी के हर राज खुलेंगे 
हर पन्ने के लफ्ज, दिल की बात कहेंगे सर्द दुपहरी में कांपते कदम बढ़े तेरी और 
पाया बुखार में तड़पता अलाव तापता 
मेरी नजरों ने देखा कि लकड़ी खत्म होने को हैं 
तेरी नज़रों ने देखा कि मेरे हाथ में एक डायरी हैं 
डायरी का पन्ना - पन्ना स्वाहा हो गया 
कुछ इस तरह इश्क़ मेरा बयां हो गया।

दिल से ..... डिम्पल

स्यापा

दस साल से देश का स्यापा ही तो हो रहा था और अब विकल्प के रुप में तानाशाह का चेहरा सामने आ रहा, तभी किसी आम ने उम्मीद की किरण जगायी पर कुछ दिनों से वे भी खास नज़र आने लगे हैं और इन सबसे अधिक भरोसेमंद साथी ने बंगाल की राजनीति की ओर रूख कर लिया हैं, क्या होगा मेरे देश का ?