Saturday, March 8, 2014

मेरी कल्पना के पन्नों से......

मेरी कल्पना के पन्नों से......

आज मेरी डायरी के हर राज खुलेंगे 
हर पन्ने के लफ्ज, दिल की बात कहेंगे सर्द दुपहरी में कांपते कदम बढ़े तेरी और 
पाया बुखार में तड़पता अलाव तापता 
मेरी नजरों ने देखा कि लकड़ी खत्म होने को हैं 
तेरी नज़रों ने देखा कि मेरे हाथ में एक डायरी हैं 
डायरी का पन्ना - पन्ना स्वाहा हो गया 
कुछ इस तरह इश्क़ मेरा बयां हो गया।

दिल से ..... डिम्पल

4 टिप्पणियाँ:

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...

heart touching....

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...

just small correction: in context of my two comments today, replace first on second and second on first. that is how, i really wanna to post

Navin Bhardwaj said...

आपने वाकई detail में इसे बताया आपका धन्यवाद् लगभग कुछ घंटो के बाद मिला यहाँ सही जानकारी,अभी तक बहुत ही आसानी से बहुत ये सवालो का जवाब मुझे मिला है यहाँ , हिंदी में पढने वालो के लिए वाकई बेहतरीन ब्लॉग ! धन्यवाद सर जी
Appsguruji (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह) Navin Bhardwaj

bu bhopal ba 3rd year result said...

Love to read it, Waiting For More new Update and I Already Read your Recent Post its Great Thanks.