Monday, August 19, 2013

इंसानियत की चिड़िया


एक दुनिया, जो इन्सां ढूंढता था हमेशा
वो  दुनिया छतों पर आ गयी  हैं
हर चेहरा, गुलाबी मुस्कराहट भरा हैं
डोर लिए पतंग की, ताक आसमाँ को रहा हैं !!
डोरों की उलझन में ऐसा उलझा पखेरू
बहुत छटपटाया बच न पाया पखेरू
चिड़ा था वो नादाँ, चुगने दाना चला था
अपनी चिड़िया और भूखे बच्चों से बिछुड़ा था
सतरंगी आसमां में रंग और एक बिखरा था!!
बिन चिडे के वो चिड़िया हो अकेली चली थी
दाना निज बच्चों का चुगे जा रही थी
वह चिड़िया सुनहरी उड़े जा रही थी
तभी क्या था देखा चिड़िया ने बतलती हुं सबको!!
तेज तपती दुपहरी आग बरसाता  सूरज
जमीं गर्म अंगारे धधका रही थी
रो रह था सड़क पर इक मासूम बचपन
कोई आ रहा था, कोई जा रहा था
हर इक काम अपने यूँ निपटा रहा था
पास ही पर खड़े थे पुचके-पोहों के ढेले
लोग खाते-मुस्काते, मस्त बतिया रहे थे
देख कर कर रहे थे, वो अनदेखा उसको
न शरमा रहे थे, न पछता रहे थे
रो रहा था वो नन्हा, भूख गर्मी से परेशां
धरती पर न इन्सां नजर  रहा था
फैलाये पंख, छाया चिड़िया ने बिखेरी
उस मासूम की बन गयी थी वो प्रहरी
चोंच में जो भर लायी थी वो चंद दाने
झट से नन्हे को लगी वो खिलाने !!
ये चिड़िया, कोई आम चिड़िया नहीं हैं
मानवता यही दया करुणा यही हैं
यह कहानी, महज एक कहानी नहीं हैं
मेरे गीत, दिल की ज़ुबानी यही हैं
समझो तो समझो कहाँ जा रहे हम
कुछ पाने की शिद्दत में क्या खो रहे हम
ममता को मन में मिला लो  फिर एक बार
प्रेम की लौ दिल में जला लो फिर एक बार 





Wednesday, July 31, 2013

 एक भारतीय नारी का फेसबुक स्टेटस पढ़ा आज…कहती हैं कि लड़की को क्यों  इतने सारे जबरदस्ती के रिश्तों में बांध दिया जाता हैं…क्यों नहीं वह सिर्फ एक उस रिश्ते के साथ अपनी जिन्दगी ख़ुशी से गुजार  सकती जिसके साथ वह रहना चाहती हैं यानी की उसका पति .
जी शादी सिर्फ़ दो लोगों के बीच का बंधन नहीं हैं … शादी दो परिवारों के बीच होती हैं … पर जिन्हें रिश्ते ही बंधन लगते हो …. उनके लिए शादी की पवित्रता को समझना थोडा कठिन हैं …… और रही बात उस एक मिया बीवी के रिश्ते में खुश रहने की तो नारीजी आपके माता पिता  नाहक ही आपका बोझ उठाया और आपके पति के माता पिता ने उनका …वो लोग भी आपके नक़्शे कदम पर चले होते तो शायद आप दोनों ही न होते …. आपके भाई की शादी भी इसी सोच वाली लड़की से हो और वो अपने पति के साथ अकेले सुखी संसार बिताये …आपके बच्चे भी इसी एक रिश्ते में खुश रहे …। शायद इस दर्द का एहसास अभी न हो आपको क़्यो कि फ़िलहाल आप इस दर्द का वितरण कर रही हैं … पर झेलने की बारी भी आएगी…आप जिन रिश्तो में नहीं बंधना चाहती वो रिश्ते शायद आपके पति के साथ बरसों से हैं पर आप कामयाब होती दिख रही मुझे अपने साथ अपने पति को भी इसी एक रिश्ते में ख़ुशी से जीने की आदत डालने की …. परिवार शायद इसीलिए ख़तम हो रहे हैं …. परिवार को तो नारी जोडती हैं पर जब आज की पढ़ी लिखी नारी ने परिवार तोड़ने का जिम्मा अपने सर ले ही लिया हैं तो …अजीब लगता हैं  कभी कभी …सिर्फ़ में और तू और कोई नहीं … कोई रिश्ता नहीं कोई परिवार नहीं …. रोक टोक नहीं । तू मुझे देख कर जिये और में तुझे देख कर … प्यार … अच्छा हैं … पर ये स्वार्थी प्यार हैं … और मेरी  डिक्शनरी इसे प्यार नहीं कहती ….

Tuesday, May 21, 2013

मन







 जाने क्यों मन में एक अजीब सा ख्याल आया और में अपने ही मन से पूछ बे ठी उसकी चाहत . सालों से जैसे इसी सवाल का इन्तजार कर रहे मन की मुराद पूरी हो गयी . वो नाचने लगा . मेरे भी पैर मन के साथ ताल में ताल मिलाकर एक अरसे के बाद  थिरकने लगे थे . मन ने शाम का ढलता सूरज दिखाया . में आँखें मूंद , दोनों हाथ फैलाये शायद हमेशा के लिए उस नज़ारे को खुद में समा लेना चाहती थी . तारों से भरे नील आसमान को देख इधर मेरे मन में कविता  उमड़ने लगी ...और उधर मन ने मेरी डायरी हाथों में थमाँ दी जिस पर अब धूल जमने लगी थी . चेहरे पर मुस्कराहट .. आँखों में आंसू ..कभी जी में आता की इतना  जोर से हसूँ  कि  मेरे हंसने की आवाज पहाड़ों से टकरा कर वापस मेरे की कानों में मिसरी  घोल दे… और कभी रोने का मन करता .. एक दर्द भरी चीत्कार जो सागर के उतार चढाव के साथ बह जाए.खुद को खोने का दर्द ...कांच की एक ऐसी पेटी में कैद हो जाने का दर्द था ये जहां सिर्फ AC की हवा हैं.आज मदमस्त लहराती पवन ने छुआ तो लगा जैसे मेरे पिंजरे की एक दिवार ढह गयी ...मशीन फिर से इंसान बन गयी ....

Tuesday, April 23, 2013

बाबा ऐसा वर ढून्ढो








 पापा लड़का देख रहे हैं, मेरी शादी के लिए...रोजाना एक-दो रिश्ते आते  हैं..लेकिन पापा को अभी तक कोई इतना पसंद नहीं आया की उसको हाँ कर दें..पापा लडके की सूरत देखते हैं... सीरत देखतें है...वो दिखने  में Smart  होना चहिये...Personality देखते है...वो क्या करता है…क्या Job हैं, उसकी Job  और मेरी Job में तालमेल हो...क्या पढाई  की हैं...बात करते हैं, ताकि पता चले कि उसका स्वभाव कैसा हैं...उसके पापा क्या करते है...घर में कौन-कौन है..खानदान कैसा है, कहाँ रहते है...मकान अपना है या नहीं..इसलिए देखते हनी ये सब, ताकि उनकी बेटी हमेशा खुश रह सके...वो लड़का और उसका परिवार अपने  पापा की परी को उतना ही प्यार करे जितना मेरे पापा मुझसे करते है।
सब ठीक है पापा, आप जिसे भी चुनोगे वो Best होगा, I Know that...पर पापा में कुछ और भी  चाहती हुं..मेरे लिए Life का मतलब सिर्फ Enjoy करना नहीं है...जो मुझे खुश रखे…ये ठीक है...जो एक अच्छी Job में हो ..ये ठीक है ..परिवार अच्छा हो ..ये ठीक है...सब लोग मुझसे प्यार करें ...ये ठीक है...सब कुछ देखना जायज है।
पर पापा ...पापा, में सिर्फ एक बात चाहती हूँ ...वो ये पापा  कि  वह  एक बहुत ही अच्छा इंसान हो ...उसमे इंसानियत कूट-कूट कर भरी हो ...कभी किसी चींटी को भी न दुखा सके ..सबके दुःख में दुखी हो जाये ...सभी के दुःख दूर करने की कोशिश करे ..दूसरों की ख़ुशी में खुश हो ले..उसकी Job सिर्फ मजे करने के लिए या मेरी और अपनी जिन्दगी को खुशहाल बनाने तक सिमित न हो… उसकी Job,  उसकी Salary , उसका Promotion इन सभी के पीछे न जाने कितने लोगो की दुआएं हो ...एक ऐसा लड़का जिसके लिए अपने Mummy -Papa , भगवान से भी बढ़ कर हो ... जिसका मन साफ़ हो, इरादे पाक हो ..जिसकी बातों में सच्चाई हो..जिसके काम नेक हो ...जिसका चेहरा चाहे खुबसूरत न हो ..पर दिल...दिल बहुत खुबसूरत हो ..आइने की तरफ साफ़,पानी जैसा सरल ....ऐसा हैं मेरे सपनों का राजकुमार ...जिसके मन में नारी जाति के लिए  बहुत सम्मान और आदर की भावना हो…जो सिर्फ  मेरे लिए ही  न सोचे...अपने परिवार ...समाज ...और इन सबसे आगे बढ़कर अपने देश के लिए सोचे...और सिर्फ सोचे ही नहीं बल्कि ऐसा काम भी करे ....जिसके लिए समाज का दायरा बहुत बड़ा हो...एक जाति या किसी भी ऐसे संकुचित दायरे में सिमटा हुआ न हो....हम दोनों मिल कर ऐसी कविताये लिखे जो एक Change लाये...प्यार की भावना फेलाए...अपनेपन की लहर लाये।
राह चलते भी अगर कुछ अच्छा करने का मौका मिले तो हम जरुर करे ...मेरे हर अच्छे फैसले में जो मेरे साथ हो…और जिसके हर सही फैसले में, मैं उसमे साथ रहूँ....और ये साथ बहुत से चेहरों पर मुस्कराहट लेकर लाये…… पापा ....आप समझ  रहें हैं न, कि  मैं क्या चाहती हूँ  .......