वृक्ष
कितना तटस्थ
छायादार
खुशियाँ अपार
हरा
फूलों से भरा
अटल
मन सा चंचल
ये वृक्ष
भगवान का अक्ष
अकेला
पक्षी का बसेरा
नादान
प्रभु का वरदान
वृक्ष
हाँ ये वृक्ष
इस दागदार दुनिया में , गुनाह लगता हैं हैं बड़ा हो जाना....बस बचपन दिखता बेदाग यहाँ...., गुजारिश मेरे मौला मुझे सच्चा रहने दो...बड़ों की इस दुनिया में मुझे बच्चा ही रहने दो .....मेरे दिल कि कुछ बातें दिल की ज़ुबानी कहने दो..|
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 9:48 AM 40 टिप्पणियाँ