Sunday, October 9, 2011

बन गज़ल



बन गज़ल , मैं
किसी के लबों पर गुनगुनाने लगी हुं...
बन ख़ुशी , मैं
किसी के चेहरे पर मुस्कराने लगी हुं...
बन ख्वाब , मैं
किसी को नींद में बहकाने लगी हुं...
बन रोशनी , मैं
किसी के घर में जगमगाने लगी हुं...
बन छाँव , मैं
किसी को धूप से बचाने लगी हुं...
बन खास , मैं
किसी को बहुत पसंद आने लगी हुं...
बन प्यार , मैं
किसी के दिल को धड़काने लगी हुं॥

Wednesday, July 20, 2011

" आखिर मिल ही गये "







एक मासूम बच्चे की , खिलखिलाहट
पेड़ के सूखों पत्तों की , सरसराहट
दोनों के मिलन से, हुआ संगीत का सृजन
दबे होठों से निकले, उस "बोल" को सुन
झरने का बहता पानी, बुनने लगा धुन
बिन बारिश ही, भीगे सबके बदन
कंपकंपी सी छूटी, नाचे मयूरी मन
बाग़ में कलियाँ, एक साथ खिलने लगी
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !

Monday, January 3, 2011

कहानी एक औरत की..





ये कहानी हैं एक औरत की..
हुई थी जो कुछ दिनों पहले
हवश का शिकार॥
ये मुर्दा समाज कहता हैं...
उसका जीना हैं बेकार
ढंकी हैं आज पूरे कपड़ों में
फिर भी नग्न नजर आती हैं ॥
ये पुरवाई भी
अब नही सुहाती हैं ॥
देख खुद को आईने में...
लजाती नही..झल्लाती हैं ॥
किया था वादा ..
उसकी गली डोली ले आने का
अब झांकता तक नही उस ओर ॥
कॉलेज में हर साल , इनाम
उसके हाथों में समाते नहीं थे
निष्कासित किया जा चुका हैं
असर दूसरे बच्चो पर पड़ेगा..कहकर
दो साल से टॉप कर रही थी
ये तीसरा साल किताबों से खेल रही थी ॥
हर रात वह चिल्ला उठती हैं
मारे डर के सो नहीं पाती हैं...
माँ भाग कर आती हैं .....
पोंछ उसका पसीना समझाती हैं
उस डर से बाहर निकालती हैं
पर क्या निकाल पाती हैं??
एक नाकाम कोशिश माँ हर रात करती हैं॥
पानी डाल तन पर अपने
वह रगडती हैं जोरो से ...
उसे दाग नजर आते हैं
अपनी देह पर हर कहीं....
पूरा दम लगा के भी वह मिटा नहीं पाती ॥
सहेली उसकी सुख दुःख की संगी
रास्ता भूल चुकी हैं घर का उसके ॥
माँ संग बाजार जाए
तो फब्तियां लाश को
मार डालती हैं फिर से एक बार॥
उसकी नग्न पुकार
नग्न हैं उसकी चीत्कार
नग्न देह का दर्द भी अब नंगा हो चुका हैं॥
हर अनजान शक्ल में ..
दरिंदा नजर आता हैं
क्या हैं ये सब?
हमारी बिगडती मानसिकता...
या ख़त्म होती मानवीयता॥
क्या इन दरिंदों के घर
कभी बेटियाँ पैदा नही होगी????