Wednesday, May 19, 2010

भारत में आज यह क्या हो रहा |





इंसानियत को इन्सान भुलाता चला
प्रभु का आशीष भी अब हैं टला
अश्लील चित्रों तक सीमित हैं कला
नौजवानों से शिकायत करूँ क्या भला
चहुँ दिस घना अंधियार छा रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
नेता ने खाकर डकार न ली
अभिनेता ने कुचल कर सुधि न ली
भारत में न खिली राम राज्य की कलि
न हिंद को असली स्वतंत्रता मिली
सैनिकों को जगा देश सो रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
मनुष बन गया हैं अमीरों का चेला
भारत बन गया हैं बेईमानो का मेला
सूर्य अस्त होने की कैसे यह वेला
देश के नेताओं ने कैसा खेल खेला
आतंकवाद अपनी जड़ें फैला रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
नारी की अस्मत खुले आम हैं लुटते
अधिकारी इमान सरे आम हैं बेचते
दंगे नित नए बहाने हैं ढूंढते
देशी आग में विदेशी ताप हैं सकते
सोने की चिड़िया नाम कहाँ खो रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा.. |

Friday, May 7, 2010

एक बेटी on Mother's Day


तू इस जग से है न्यारी........मेरी माँ तू मुझको है प्यारी.......में हु तेरी राजदुलारी ....|


इस दुनिया का सबसे खुबसूरत लफ्ज़ क्या है????अगर कोई मुझसे ये सवाल करे तो मेरा जवाब होगा---माँ.........जरुरी नही की हर कोई इस सवाल का यही जवाब दे|जवाब बहुत सारे हो सकते है....और बहुत अच्छे अच्छे हो सकते है......पर मेरे लिए तो इस दुनिया में सबसे अच्छी और प्यारी मेरी माँ है......इस दुनिया में सबसे खुबसूरत शब्द है माँ......इस दुनिया में सबसे खुबसूरत जगह है मेरी माँ की गोद ....इस दुनिया में सबसे खुबसूरत चीज है मेरी माँ की मुस्कराहट ......मेरी कविताओं का एक अनमोल शीर्षक है मेरी माँ......!!!


एक बेटी के लिए माँ कि क्या एहमियत होती हैं ये सिर्फ एक बेटी ही समझ सकती हैं|

यादों के धुंधले सांएं में
बनी माँ की परछाईं
खाने की वही खुशबू
में रसोई में भागी चली आयी
ध्यान आया सहसा
यह तो स्वप्न हैं
पाऊं तुझे हर कोने में
पर माँ तू कहाँ हैं??
यह मेरे ढूंढने कि
इन्तहा हैं...
माँ तेरी चूल्हे कि रोटी
याद आती हैं..
माँ तेरी परियों सी
बोली याद आती हैं.
तेरे बिना बालों में
कंघी नहीं कर पाती
दिनभर में तेरी रेशमी
साड़ियों को हूँ सहलाती
अकेले में तू जाने क्या
सोचा करती थी
गुमशुम चुपचाप सी
रहा करती थी
ये गुत्थी आज भी
में सुलझा नहीं पायी
लौट के न कभी तू आएगी
ऐसा कहती हैं ताई
क्यों छूटा मुझसे साथ तेरा
में तरस गयी कहाँ प्यार तेरा
वो टोकना वो प्यार से
समझाना तेरा
लड़की हूँ में
ये एहसास दिला कर
मर्यादाएं सिखलाना तेरा
क्यों में तेरे आसुओं का
मर्म न जान पायी
क्यों तेरे दर्द की
गहराई समझ न पायी माँ
लगे कहीं चोट
तो निकले आह
हर आह के साथ
दिल बोले माँ
कब ये काली घटायें बरसे
मेरा रोम रोम
तेरे प्यार को तरसे
माँ आज भी
तेरे प्यार की भूखी हूँ
कलि हूँ तेरे डाली की
पर सूखी हूँ माँ ..|