दूर किसी आँगन में
खिल रही थी
एक कली....
नन्ही सी...
प्यारी सी कली..
नहीं--नहीं!!
कहाँ खिली वह कली..?
खिलने से पहले ही
मसल दी गयी
वह नाज़ुक कली
क्यों..??
क्योंकि वह कली गर
खिल जाती तो
माता पिता पर बोझ कहलाती
फिर....
फिर क्या भला..
ऐसे ही रोजाना
मसल दी जाती हैं..
हजारों कलियाँ
खिलने से पहले ही..
परी सी नाज़ुक
फूलों सी सुकोमल
गंगा सी पवित्र
अबोध
नादान
नन्ही कली का
अस्त हुआ सूरज
जाने कब उदय होगा.....???