Saturday, March 27, 2010

कोख में आतंकवाद


दूर किसी आँगन में

खिल रही थी

एक कली....

नन्ही सी...

प्यारी सी कली..

नहीं--नहीं!!

कहाँ खिली वह कली..?

खिलने से पहले ही

मसल दी गयी

वह नाज़ुक कली

क्यों..??

क्योंकि वह कली गर

खिल जाती तो

माता पिता पर बोझ कहलाती

फिर....

फिर क्या भला..

ऐसे ही रोजाना

मसल दी जाती हैं..

हजारों कलियाँ

खिलने से पहले ही..

परी सी नाज़ुक

फूलों सी सुकोमल

गंगा सी पवित्र

अबोध

नादान

नन्ही कली का

अस्त हुआ सूरज

जाने कब उदय होगा.....???

32 टिप्पणियाँ:

vimlesh brijwall said...

दूर किसी आँगन में

खिल रही थी

एक कली....

नन्ही सी...

प्यारी सी कली..

नहीं--नहीं!!
..................
aap bahut hi achha likhti hai

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

फूलों सी सुकोमल

गंगा सी पवित्र

अबोध

नादान

नन्ही कली का

अस्त हुआ सूरज

जाने कब उदय होगा.....???


खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..

Someshwar said...

आपने बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता बुनी हे, गर इस में चार पंक्तिया उस माता की व्यथा पर होती जिसकी "निरिह-सहमति" इस हत्या में ली जाती हे, जिसमे हत्या (murder) का पाप भी उस अबला के सिर होता हे, जिसका वध (murdered) होता हे, मेरी तुच्छ समझ में इस सब मे बेचारी मां अपना आत्म-वध करने को मजबुर की जाती हे

*****A.s.h.i.s.H***** said...

आपकी कल्पनाशीलता, अभिव्यक्ति और शब्द विन्यास का कोई जोड़ नहीं है. लगता है कि आपकी रचनाओं में भी वैसे ही पाँचो इन्द्रियाँ हैं जैसे कि भगवान कि रचना में होती है.

हर्षिता said...

मार्मिक प्रस्तुति,बहुतखूब।

Anonymous said...

dil ko chhu lene wali kavita.....
aane waali rachnaon ka intzaar rahega.....

दीनदयाल शर्मा said...

Man ko choo gai Apki kavita.....

vinodbissa said...

samajik buraaee ko aapne bahut hi khubsurati se prastut kiya hai ............ badhaaee

kunwarji's said...

राम राम जी,
एक कलाकार की समाज के प्रति जिम्मेवारी को दर्शाती आपकी ये कविता!शब्दों को कैसे अर्थ निकालने के लिए मजबूर कर दिया है आपने!अब बारी समाज की!
काश कि हर कोई ये "मौन क्रंदन" सुनने की चेष्टा करे......

कुंवर जी,

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

dimple ji, ap bahut dil se likhti hain.......ye rachna behad khubsoorat hai........samaj ko kuch sikhna chahiye isse....!!!!!!

विजयप्रकाश said...

वाह ! मार्मिक, सोच को झकझोरने वाली कविता.

bharat kumar maheshwari said...

koi dhang ki pic nhi milti tujhe??? aise na lgaya kar...

shivamahore1 said...

I am also belong to Gudhabalotan,but I can't recognize you.I read most of article in your blog.you have good writing concept theory in hindi language.You may be a good writer and also a good blogger.
Best of luck
www.devendrasuthar.blogspot.com

bharat kumar maheshwari said...

सुंदर रचना शुभकामनायें

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

भ्रूण -हत्या के खिलाफ एक सशक्त एवम सार्थक प्रयास ..उत्तम रचना ..!!

Shri"helping nature" said...

nihayati khubsurat rachna

रचना दीक्षित said...

बहुत अच्छी संवेदनशील हृदयस्पर्शी,मार्मिक प्रस्तुति

Shri"helping nature" said...

this is first time ever in my life i have gone made
aap ki rachna me jadu hai.
aap ka fan bn gya hun yaar

Unknown said...

is dharti se us ambar tak do hi cheez gazab ki hai. ek to aapki likhawat hai ek mera bevkoofapan
gazab ka likha hai satat sadhna jari rahe meeraji!

Akanksha Yadav said...

बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

*********************
"शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!

Bhavana Lalwani said...

a gud one...bt dnt mind..i feel u hv used too much symbolic words like ganga , fool etc..see try to keep yr language simple , whn wrting on social eveils. because such symbolic words can gv a ornamental effect bt cn not remain in our emeory for a long time.
other wise a nice , touchy poem.

Kalamkar Rekha Mohan said...

vhut hi sunder kanita hein.....very touching...
reality of life.

डिम्पल मल्होत्रा said...

uffff kavita marmik hai or tasveer dekh dil dahal gya..

शुभांकर वर्मा said...

डिम्पल जी आपने बहुत अच्छी कविता लिखी हैं। ये कविता नही लगती बल्कि लगता है आपने बिखरे मोतियों को एक माला मे पिरों दिया हैं।

bharat kumar maheshwari said...

मैं बना तो लूँ नशेमन किसी शाख-ऐ-गुलसितां पर
कहीं साथ आशियाँ के ये चमन भी जल न जाये

Rocking Rathi said...

नारी समाज का अलंकार है । बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

M VERMA said...

सशक्त रचना इस आतंकवाद के खिलाफ
बेहद सशक्त

Smart Indian said...

परी सी नाज़ुक
फूलों सी सुकोमल
गंगा सी पवित्र
अबोध
नादान
नन्ही कली का
अस्त हुआ सूरज
जाने कब उदय होगा


कविता अच्छी है और सन्देश शिक्षापूर्ण और सामयिक मगर साथ का चित्र प्रभावी होते हुए भी बहुत वीभत्स है - इस कविता का प्रभाव ऐसे चित्र के बिना भी रहता.

आशीष सिंह said...

wonderful!!

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy said...

आपकी कई कवितायें पढ़ी हैं मैंने. सभी में कमोबेश दुःख, दर्द, शिकायत और डर की अनुभूति मिलती है. आप अपने लेखन में कुछ वीर रस और आनंद की अनुभूति भी मिलाएं क्योंकि मानव जीवन में केवल दुःख ही नहीं...सुख भी मिलते हैं. हालांकि इन दोनों की अवधि कम या ज्यादा हो सकती है. वैसे भी आपके लिए यह कोई कठिन कार्य नहीं है क्योंकि आपके लेखन में असीम क्षमता है. अश्विनी रॉय

bharat kumar maheshwari said...

एक चिंताग्रस्त महिला डोक्टर के पास जाती है: 'डॉक्टर, मुझे एक प्रॉब्लम है, और आपक...ी मदत चाहिए! मेरा बच्चा अभी एक साल का भी नहीं हुआ और मै फिरसे pregnant हूँ. I don't want kids so close together. तब डोक्टर पूछता है: 'ठीक है, तो मै क्या कर सकता हूँ आपके लिए?' महिला: 'मै चाहती हूँ के आप मेरी प्रेग्नंच्य रोक दो.. मै आपकी शुक्रगुज़ार रहूंगी.' डोक्टर ने थोड़ी देर सोचा और कुछ शांतता के बाद उसने महिला से कहा: 'मेरेपास इस से अच्छा solution है आपकी प्रॉब्लम के लिए. जिसमे आपको खतरा भी कम है.' वो मुस्कुराई, उसे लगा के डोक्टर उसका कम कर ही देगा अब. डोक्टर बोला: "देखो जैसे तुमने कहा की तुम एक समय पर दो बच्चो की देखभाल नहीं कर सकती, तोह वाही बच्चा मार देते है जो अभी तुम्हारे पास है. इस तरह तुम्हे आराम के लिए दूसरा बच्चा पैदा होने से पहले और भी वक्त मिल जायेगा. अगर हमें दोनों में से किसी को मरना ही है तोह क्या फर्क पड़ता है 'पहला या दूसरा' से." महिला थोड़ी घबराई और बोली: "नहीं डोक्टर, कितना भयानक है ऐसा करना.'I agree'," डोक्टर बोला. "लेकिन तुम तोह कुछ ऐसे ही कह रही थी, इसलिए मैंने सोचा की यही बेहतर उपाय होगा." डोक्टर हसा, उसने उसकी बात समझा दी थी. उसने उस माँ को इस बात से सहमत कराया था के, "पैदा बच्चे को मरना और पैदा होनेवाले बच्चे को मरना इसमें कोई फर्क नहीं है. The crime is the same! अगर आप इस बात से सहमत है तो please SHARE करे. हम सब मिल कर कई महत्वपूर्ण जिन्दगिया बचा सकते है! अंत में "प्यार माने खुदकी ज़िन्दगी दुसरो के हित के लिए sacrifice करना" Abortion माने किसी और की ज़िन्दगी अपने हित के लिए sacrifice करना

cpied from some where....