Wednesday, July 20, 2011

" आखिर मिल ही गये "







एक मासूम बच्चे की , खिलखिलाहट
पेड़ के सूखों पत्तों की , सरसराहट
दोनों के मिलन से, हुआ संगीत का सृजन
दबे होठों से निकले, उस "बोल" को सुन
झरने का बहता पानी, बुनने लगा धुन
बिन बारिश ही, भीगे सबके बदन
कंपकंपी सी छूटी, नाचे मयूरी मन
बाग़ में कलियाँ, एक साथ खिलने लगी
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !

46 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय said...

किनारे उद्गम में साथ थे, अन्त में लुप्त हो गये, यही जीवन है संभवतः।

रोहित श्रीवास्तव said...

Beautiful and Eternal lines

संजय भास्‍कर said...

सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !
खूब ......एक बेमिसाल रचना

Anonymous said...

कई महीनो के बाद आपके ब्लॉग पर पोस्ट देखी है जैसे गर्मीओं के बाद सावन.........बहुत सुन्दर पोस्ट|

rajesh mehra said...

Touched.Keep it up.

bharat kumar maheshwari said...

Bahut hi khubsurt panktiya he
Man harshvibhor ho gayaa

Rakesh Kumar said...

वाह! बहुत खूब.
शानदार अभिव्यक्ति की है आपने.
शब्दों से संगीत उत्पन्न हो रहा है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

मनोज कुमार said...

सुंदर भाव की अभिव्यक्ति।

virendra sharma said...

सम्प्रेश्नियता की हदों के पार सुन्दर अभिव्यक्ति प्रकृति सी ही मनोरम.

Laloo Vaishnav said...

thts ri8 and nice written....

Laloo Vaishnav said...

thts ri8 and nice written....

APNA GHAR said...

दो नदी के किनारे आखिर मिल ही गए , सुंदर अभिव्यक्ति ,, आप ऐसे ही लिखती रहे ,

*****A.s.h.i.s.H***** said...

शोखी, सादगी, सरलता, चुलबुलापन, और मन की शान्ति, सारी अभिव्यक्तियाँ एक साथ.... वाह वाह... बहुत अच्छी रचना है... आपको इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई.....

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर, बेमिसाल भावाभिव्यक्ति।

amrendra "amar" said...

सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये

सुंदर भावाभिव्यक्ति।

Anonymous said...

बहुत समय बाद आपके ब्लॉग पर आ पाया

"सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये!"

सुखद अनुभूति - बधाई

Sumit Pratap Singh said...

बहुत खूब...

Anonymous said...

aap bahut achha likhte ho sach mein bahut sunder likha hai

Anonymous said...

aap bahut achha likhte ho sach mein bahut sunder likha hai

Kunwar Kusumesh said...

सुंदर भावाभिव्यक्ति.

sonam pandit said...

wow realy so nice poem yar swthrt *aakhir mil hi gayi*
hmmmm aese hi likhti rhna mera aashirwad tere sath h lol...
Nice1 dimpy

Rocking Rathi said...

jordar yar dd
kya khati ho

Akshitaa (Pakhi) said...

आप तो बहुत प्यारा लिखती हैं...बधाई.
_________________
'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आइयेगा.

Main Hoon Na .... said...

sundar rachana

मैत्रेय मनोज ' एम ' said...

kya likhoon, sab kuch to likh diya aapne....
....har lafz dil ke ander pighalta-ghulta hua...

Dr Varsha Singh said...

झरने का बहता पानी, बुनने लगा धुन
बिन बारिश ही, भीगे सबके बदन
कंपकंपी सी छूटी, नाचे मयूरी मन
बाग़ में कलियाँ, एक साथ खिलने लगी
दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी


सुंदर भावाभिव्यक्ति...

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा और भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!!

Ravi Rajbhar said...

Bahut hi khoob....
bas wah-2 karne ko jee chahta hi.

दिगम्बर नासवा said...

अगर दो किनारे मिल जाएं तो फिर बात ही क्या ... पर प्रेम मैं ऐसा हो सकता है ...

Unknown said...

उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !

bahut madhur milan hai dimple

neelima garg said...

ati sundar...

prp154 said...

मुबारक हो!
कितनी खूबसूरत बात लिखी है| जैसे कोई खोई हुई चीज़ दुबारा मिल गयी है|
बहुत दिनों के बाद अपने पोस्ट किया, और बेहतरीन किया|

vijay kumar sappatti said...

वाह ,. प्रेम से भरी हुई सुन्दर कविता .. दिल को लुभाती हुई .. बहुत ही सुन्दर शब्द..

आभार
विजय

कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

web hosting india said...

It's rocking lyrics. I enjoyed to read this topic. It's great stuff.

S.N SHUKLA said...

bahut khoobsoorat prastuti

Sawai Singh Rajpurohit said...

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हु
सुन्दर और बेहतरीन रचना और बहुत ही अच्छा लिखा है आभार

kavya-janak said...

kya baat hai...splendid

***Punam*** said...

खूबसूरत........................

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

वाह बहुत खूब ,
यूँ ही लिखते रहिये ||
आप बहुत ऊपर तक जाएँगी !!

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...
This comment has been removed by the author.
संतोष पाण्डेय said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति.सुन्दर प्रस्तुति.

Rewa Smriti said...

Ahha...awesome!

Naveen Mani Tripathi said...

दिलों में प्यार की, ख्वाहिशें जगने लगी
उपरवाले ने, किस्मत में नए रंग भरे
बातों मुलाकातों से, वो लम्हे थे परे
सदियों से जुड़े वो एक बार फिर जुड़ गये
दो किनारे नदी के देखो, आखिर मिल ही गये !

kinare sadiyon se milate aur bichadate rahe hain dimpal ji fir bichhadana dukhad aur milana sukhad hota hai....filhal ak beharareen rachana ....badhai ke sath abhar bhi

रविकर said...

आगामी शुक्रवार को चर्चा-मंच पर आपका स्वागत है
आपकी यह रचना charchamanch.blogspot.com पर देखी जा सकेगी ।।

स्वागत करते पञ्च जन, मंच परम उल्लास ।

नए समर्थक जुट रहे, अथक अकथ अभ्यास ।



अथक अकथ अभ्यास, प्रेम के लिंक सँजोए ।

विकसित पुष्प पलाश, फाग का रंग भिगोए ।


शास्त्रीय सानिध्य, पाइए नव अभ्यागत ।

नियमित चर्चा होय, आपका स्वागत-स्वागत ।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आप बहुत अच्छा लिखते हो!

रश्मि प्रभा... said...

मिलना ... यानि मुक्त हो जाना