Sunday, March 7, 2010

विधवा



वाह पायल जब

बजती थी

मानो कुछ गुनगुनाती थी

वह पायल जब

चलती थी
धड़कने रुक सी जाती थी

पर....
पर अब वाह पायल
कहीं नजर नही आती

पर अब वाह पायल
कभी नही छनछनाती
जाने क्या हो गया हैं
शायद....
शायद कुछ खो गया हैं

शायद कोई सो गया हैं
पहले वो सुहागिन थी
सजाती थी
संवरती थी
पायल भी पहनती थी
हर पल चहकती थी
पर....
पर अज वाह विधवा हैं
रब ने तो छिना हैं
पर दुनिया वालो ने
इसके रीती रिवाजो ने
मुश्किल किया जीना हैं
श्वेत वस्त्र

बिखरे बाल
बिना सजे
बिना संवरे
वह आज भी चलती हैं
पर आज उसके चलने में
कोई गुनगुनाहट नहीं

पर आज उसके चेहरे पर
वो मुस्कराहट नहीं
पर आज चूड़ियों में

वो खनखनाहट नहीं
बस धड़कने हैं
शांत....
नीरव....
????????

12 टिप्पणियाँ:

Unknown said...

नारी की सवेदनाओ पर अच्छी कविता,भाव झलक रहे हैं,हम आभारी हैं,राजा राम मोहन राय के जिनके द्वारा सती प्रथा का अंत हुआ,नहीं तो आज पता नहीं क्या स्थिती होती.
विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

Yashwant Mehta "Yash" said...

Sad poem and representing the situation of women in some parts of India. We must fight against the evil traditions that corrupt the life of women. Jai Hind

vinodbissa said...

हृदय स्पर्शी प्रस्तुती है, डिंपल जी शुभकामनायें ॰॰॰॰॰॰

संजय भास्‍कर said...

Kavita to bahut bhadiya lagi ....Shubhkaamnae!!

Unknown said...

आपने एक वेहद सम्वेदनशील मुद्दे पर बहुत ही कुशलता से अपनी बात कही है. समय के साथ हालात बदले भी है लेकिन और अधिक बदलाव की जरूरत है.

Unknown said...

yeh kya kahu sabd nahi ha
bas shresthtam abhiwyakti ha
just mindblowing

Nisha said...

found it the best of ur's posts.. its amazing n very thoughtful with light words.

bharat kumar maheshwari said...

कितने विवश कितने दब्बु हम हो गये..
हाए...हम संवेदन-हीन हो गये..

bharat kumar maheshwari said...

अगर यही तेरी दुनिया का हाल है मालिक
तो मेरी क़ैद भली है मुझे रिहाई न दे

Rocking Rathi said...

हम ग़ज़ल में तेरा चर्चा नहीं होने देते
तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते

Vinay Sharma said...

jitana tarif ki jaye apki kavita ki utni kam he hum to apke fan ho gaye hai ...........suraj ko dipak dikhane jaise apki tarif he hamare pas shabd nahi he .......

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .