ये कहानी हैं एक औरत की..
हुई थी जो कुछ दिनों पहले
हवश का शिकार॥
ये मुर्दा समाज कहता हैं...
उसका जीना हैं बेकार
ढंकी हैं आज पूरे कपड़ों में
फिर भी नग्न नजर आती हैं ॥
ये पुरवाई भी
अब नही सुहाती हैं ॥
देख खुद को आईने में...
लजाती नही..झल्लाती हैं ॥
किया था वादा ..
उसकी गली डोली ले आने का
अब झांकता तक नही उस ओर ॥
कॉलेज में हर साल , इनाम
उसके हाथों में समाते नहीं थे
निष्कासित किया जा चुका हैं
असर दूसरे बच्चो पर पड़ेगा..कहकर
दो साल से टॉप कर रही थी
ये तीसरा साल किताबों से खेल रही थी ॥
हर रात वह चिल्ला उठती हैं
मारे डर के सो नहीं पाती हैं...
माँ भाग कर आती हैं .....
पोंछ उसका पसीना समझाती हैं
उस डर से बाहर निकालती हैं
पर क्या निकाल पाती हैं??
एक नाकाम कोशिश माँ हर रात करती हैं॥
पानी डाल तन पर अपने
वह रगडती हैं जोरो से ...
उसे दाग नजर आते हैं
अपनी देह पर हर कहीं....
पूरा दम लगा के भी वह मिटा नहीं पाती ॥
सहेली उसकी सुख दुःख की संगी
रास्ता भूल चुकी हैं घर का उसके ॥
माँ संग बाजार जाए
तो फब्तियां लाश को
मार डालती हैं फिर से एक बार॥
उसकी नग्न पुकार
नग्न हैं उसकी चीत्कार
नग्न देह का दर्द भी अब नंगा हो चुका हैं॥
हर अनजान शक्ल में ..
दरिंदा नजर आता हैं
क्या हैं ये सब?
हमारी बिगडती मानसिकता...
या ख़त्म होती मानवीयता॥
क्या इन दरिंदों के घर
कभी बेटियाँ पैदा नही होगी????
Monday, January 3, 2011
कहानी एक औरत की..
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 2:22 AM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
135 टिप्पणियाँ:
बहुत मार्मिक कविता.. मन अवसाद से भर आया...
पीड़िता की मनोदशा का खूब चित्रण किया है आपने।
दरिन्दे इसी समाज में इंसान के भेष विचरण करते हैं,आवश्यक है उन्हे चिन्हित कर उचित दंड देने की।
आभार
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता है
वाकई ऐसा ही गुज़रती है...आपने पीड़िता की मनोदशा का सही चित्रण किया है।
आपको नये वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ।
यह अभिव्यक्ति इतनी अच्छी है कि एक सचमुच की कहानी जान पड़ती है. लेकिन आज आवश्यकता हिम्मत हारने की नहीं बल्कि हिम्मत जुटाने की है. बीते कल पर अफ़सोस नहीं बल्कि आने वाले कल के सपने साकार करने की है.किसी ने सच ही कहा है कि-
"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से ये पूछे बता तेरी रज़ा क्या है."
बहुत ही मार्मिक भावों से परिपूर्ण रचना है, बधाई। लगभग 4 माह के बाद आपकी रचना आई है, आभार।
झकझोड़ देने वाली रचना।
भीतर तक झकझोर दिया...ये कविता है या कहानी ...बहुत ही मार्मिक है...ये क्या है..ऐसा क्यों होता है..लोग इतने गिर सकते हैं..कि किसी का जीवन बर्बाद करते हुए भी डरते नहीं..ऐसा न जाने कितनी लड़कियों के साथ घटा है..और कितनी के साथ घट सकता है...हमारे मानवीय मूल्य कहाँ जा रहे हैं..हमारे भीतर और कितनी गिरावट आने वाली है..सोच कर डर लगता है..हे ईश्वर.... पीड़ितों को शक्ति और वहशियों को सद बुद्धि देना......
its really very nice..
The Most heart touching lines...
No one can explain "Pain of Women" in such a nice way!
इतना गहरा , इतना शांत.. मार्मिक..
maarmik rachna है ... man में vitrashna bhar jaati है aise samaaj ko dekh kar .... kisi aur ka kiya naari ko bhugatna padhta है ...
bahut hi samvedansheel rachna है ...
"हमारी बिगडती मानसिकता...
या ख़त्म होती मानवीयता"
मार्मिक रचना के माध्यम से अहम् सवाल - नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
Dimpal, kavita bahut marm sparshee hai aur ham sab samaaj ke log uskee peeda ke aage baune aur gunaahgar.lekin isse aage prashn ye hai ki kab tak ham deh ke kisee bhee kaaran apavitra hone ke liye mahila ko doshee maante hai aur mahil khud ise apne jeevan par kalikh maantee hai. is niyati ke anaachar se khud mahilaa ko mansik roop se alah hona chahiye
डिम्पल जी......नमस्ते!
पीड़ित मनोव्यथा का बहुत ही मर्मस्पर्शी चित्रण किया है आपने.......इस दरिंदगी के लिए हमारे समाज की संकीर्ण मानसिकता बहुत हद तक जिम्मेदार है.....जहाँ ऐसे दरिन्दे सर उठा कर घूमते हैं और पीड़ित को तिरिस्कृत किया जाता है......समाज का साहस अति वांछित है....
सच के धरातल पर लिखी हुई बहुत मार्मिक रचना है........
समाज की सच्चाई का यतार्थ चित्रण है ..
bahut achhe tareeke se aapne iss vishay ko uthaya hai..bahut hi prabhavshali bani hai kavita..mere khayal se aapko inhe newspapers mein bhejna chahiye. taaki jyada se jyada logon tak ye vichar pahunch sake.
मार्मिक कविता
झकझोड़ देने वाली रचना मार्मिक अभिव्यक्ति
मार्मिक रचना...... ...
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं....
!!!!!!!!!
!!!!!!!!!
!!!!!!!!!
Ashish
Wow, U have Written well
jo log aurat ke swabhimaan se khelte hai kya unhe ek pal ko bhi aisa karte waqt apni maa ki yaad nahi aati, us bahan ki yaad nahi aati jo uski kalai pe rakhi bandhti hogi, kya use is baat ka ahsaas nahi hota ki ek beti kal uske aangan me bhi aa sakti hai...par ye sawal bemaine hain...ye bhi main jaanti hun...haiwan ka koi rishta nahi hota aur waqt bewaqt ye haiwan in rishton ko bhi dagdaar karne se kaha chukte hain...aise darindon ki sirf ek saja honi chahiye...beech chaurahe par nanga kar phasi par latka diya jaye...taki koi aur aisi harqat karne se pahle ek baar uski halat yaad kar le.
sirf afsos kar ke ,aur is rachna ki panktiyon ki tareef kar ke ise bhul jaane se kaam nahi chalega...ye sirf ek rachna nahi aurat ki sabse badi samsya hai jiski wajah se ek baap apni jawan hoti beti ki prgati me khud badhak ban jaata hai kyo ki wo uski suraksha ke prati aashwat nahi hota...
samaj seanurodh hai...ab to apni betiyon ke liye jaage taki wo nirbhay ho kar jeewan ke naye aayamo ko chu paye.
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता है
क्या इन दरिंदों के घर
कभी बेटियाँ पैदा नही होगी????
ek achchha prashna poochha hai aapne is "sabhy" samaj se....
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आगमन हुआ.ऐसे ही अच्छा लिखते रहिये.शुभकामनाएं...
इसे पढ़कर रूपम पाठक का फैसला याद आ गया।
बहुत अच्छा
पानी डाल तन पर अपने
वह रगडती हैं जोरो से ...
उसे दाग नजर आते हैं
अपनी देह पर हर कहीं....
पूरा दम लगा के भी वह मिटा नहीं पाती ॥
बहुत मार्मिक कविता
follow my blog
hats off to u....
very touching & expressing the real picture of todays society which said that woman are secure.....keep writting
thanx for commenting on my blog & HAppy New Year to u and ur dear ones......
kya kahun....ek aurat ki bebasi par taras nahi gussa aata hai...us par ye samaj....humen khud ko hi mazbut banana hoga....apni ashmita ki raksha apne hi haanton me hai....aapne to samaz ka ek ghinauna chitra prastut kar diya...
As usual one more extremely good creation from your pen....... You have great capability to feel the pain of others...Its a boon of God. Keep writing.
NAARI SAMVEDNAA KO PRASTUR KARTI MAARMIK RACHNA!!!!
दिल में गहराई तक उतरने वाली मार्मिक कविता है। बधाई। आप मेरी दूसरी साइट पर भी जाना।
डॉ. ओम वर्मा
http://flaxindia.blogspot.com
आपकी कविता बहुत मार्मिक भाव लिए है ...आपने जिस व्यथा कथा को शब्द दिए हैं ..झकझोर देने वाली है यह व्यथा कथा ...आपका प्रस्तुतीकरण इसे और भी मार्मिक बना गया ..शुक्रिया
सच्चाई को वयां करती हुई अत्यंत मार्मिक रचना , बधाई...मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
उफ्फ्फ
आपकी इस मार्मिक रचना ने दिल को हिला दिया
अब क्या कहूँ .......
आपको शुभ कामनाएं
sanvedana se bharpur..marmik rachana hai...shubhkamnaye
कहीं गहरे उतर गई यह रचना....झकझोरते हुए.
bahut acchhi lagi kavita....jo kavita nahin...balki maarmik sach kaa ek ansh hai.....!!
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
नारी की विडम्बना पर सुन्दर रचना प्रस्तुत की है आपने!
अत्यन्त मार्मिक और हृदय विदारक रचना
इन दरिन्दों की मानवीयता शायद मर चुकी है
bahut hi marmik abhivykti badhai dimpleji wish you a happy new year.
भावना प्रधान छंदमुक्त सुन्दर कविता.
आभार .
HAPPY NEW YEAR TO YOU
ab samay aa gaya hai ki balatkar ko anay apradhon ki shreni me rakkha jaye .ise jab tak pavitrta- apavitrta ke sath joda jata rahega tab tak blatkar ki shikar stri aisa hi mahsoos karegi jaisa aapne chitrit kiya hai .marmik abhivyakti aur hain in jaise darindon ke yahan beti ho ya n ho par ye janm to stri ki kokh se hi leti hain .mere blog ''vicharonkachabootra'' par aane ke liye hardik dhanywad .aati rahiyega .
बेहद मार्मिक चित्रण से ओत-प्रोत लग रही है आपकी यह रचना ।
नजरिया पर आकर टिप्पणी करने हेतु आभार...
बहुत मार्मिक चित्रण ।
यह सत्य जानते हुये भी लोग जघन्य कामों में क्यों लिप्त होते हैं।
एक भावपूर्ण उद्वेलन ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । नारी हर युग में इस तरह से ही प्रताड़ित होती आई है ...क्या हम एक सुंदर सुबह की आशा रखें । इसी तरह से लिखती रहें ...न जाने कब कौन आपकी लेखनी से जाग जाए और उसकी दरंदगी जाती रहे ।
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
डिम्पल जी,
आपके लेखनी की तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है ! हाँ यह कहना चाहूँगा कि आप राजस्थान राज्य की एक प्रतिभा-शाली लड़की हें जिस पर मुझे भी नाज़ है !
एक भावपूर्ण , सुंदर अभिव्यक्ति !
It's rare to find such a touching write-up..hats off to you.
मुझे लगता है तुम शीघ्र अपनी पहचान बनाने में समर्थ रहोगी ! प्रोफाइल में स्कूल विवरण खटकता है ...संक्षिप्त मगर प्रभावी होना चाहिए ! सुझावों के लिए बुरा नहीं मानना ..तुम्हे पढ़कर लगा कि कुछ कह कर जाऊं !
सुखद भविष्य की शुभकामनायें !
ek bhawpurn abhivaykti
dil ko jhakjhore dene vali rachna
....
nav varsh ki badhayi
aapko
सुन्दर और मार्मिक कविता है,आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं..
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता..
पहली बार आना हुआ। यह कविता भी ठीक है। पर आजादी के पर्व ने सचमुच प्रभावित किया।
मन दुखी होता है पढ कर, सही लिखा है आपने
जीवन जीना एक लम्बा युद्ध है
युद्ध में न सोचो, क्या विरूद्ध है...."प्यास"
कविता उद्वेलित करती है और कहीं न कहीं अंतर्मन में ग्लानि का भाव पैदा करती है.. समझ नहीं पाता की इस व्यथा का क्या अंत हो... बरसों पहले एक अंगरेज़ी और एक हिंदी फ़िल्म के माध्यम से इसका हल प्रस्तुत करने की थी, किंतु वह भी समभव नहीं..
आपने बहुत बेबाकी से अपनी बात कही । माना कि स्थितिया बहुतु विषम हो जाती है फिर भी हमे समाज का सामना करनाथी होगा।
"क्या हैं ये सब?
हमारी बिगडती मानसिकता...
या ख़त्म होती मानवीयता॥
क्या इन दरिंदों के घर
कभी बेटियाँ पैदा नही होगी????"
ये ऐसा ही है...
कही तो जिस्म खरीदे जाते हैं तो क्या उन खरीददारों के घर में बेटियां पैदा नहीं होती?
जिनके खरीदने कि औकात नहीं रहती वो इस दरिंदगी पर उतर आते हैं या फिर fun के लिए भी कुछ लोग इस सीमा तक उतर जाते हैं ...तो क्या उनके बेटियाँ घर नहीं होती? बल्कि ये तो सदियों से होता आया है कि जिनके बेटियाँ होती हैं वे लोग ही ज्यादा इन सब बातों में संलग्न पाए जाते है चोरी-छुपे,किसी का खुलासा हों जाता है तो किसी की कानों-कान खबर नहीं होती.....
बहुत अच्छा लिखा है आपने.....ईश्वर से प्रार्थना है कि हर दरिन्दे को हर लड़की में अपनी बेटी की सूरत नज़र आये....
आपने सही कहा ... क्या इन दरिंदों के घर बेटियाँ पैदा नहीं होंगी .... पर मुझे लगता है की इनका ज़मीर इतना मर चूका होता है .. की इससे भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ... एक सार्थक पोस्ट .... शुभकामनाएं
दिमपले जी,
सुभानाल्लाह.....उफ़....क्या कहूँ शब्द नहीं मिल रहे हैं......आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ....बहुत ही ज़बरदस्त पोस्ट है आपकी.....कितना कडवा और नंगा सच कितने मार्मिक और सीधे ढंग से प्रस्तुत कर दिया है आपने.....वाह......मेरा सलाम है आपको.....आखिरी ये पंक्तियाँ तो बहुत-बहुत शानदार हैं.....आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी ऐसी ही बेहतरीन रचनाएँ पढने को मिलेंगी|
क्या हैं ये सब?
हमारी बिगडती मानसिकता...
या ख़त्म होती मानवीयता॥
क्या इन दरिंदों के घर
कभी बेटियाँ पैदा नही होगी????
वाह.....कभी फुर्सत मिले तो हमारी दहलीज़ तक भी आयें -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
मार्मिक और बेहतरीन अभिव्यक्ति ! कमाल की रचना है!
बडी मार्मिक कविता है,अवसाद भरी मनोदशा का यथार्थ चित्रण है। प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!
sundar
बहुत प्यारी रचना... सत्य...
मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...
डिम्पल जी,
‘माँ संग बाजार जाए
तो फब्तियां लाश को
मार डालती हैं फिर से एक बार॥’
अभिव्यक्ति के माध्यम से मर्म को छूने की यह कोशिश काफी सफल हुई...बधाई!
‘हर रात वह चिल्ला उठती हैं
मारे डर के सो नहीं पाती हैं...
माँ भाग कर आती हैं .....
पोंछ उसका पसीना समझाती हैं
उस डर से बाहर निकालती हैं
पर क्या निकाल पाती हैं??
एक नाकाम कोशिश माँ हर रात करती हैं॥’
यहाँ पर मन्टो की कहानी ‘खोल दो’ की याद आ गयी!
तुम मेरे ब्लॉग मै आई मुझे अच्छा लगा तो सोचा कि एक बार आपसे भी मिल आऊं यहाँ आई और आपकी रचना को पढ़ कर दिल बहुत खुश हुआ कि आप तो हमसे भी अच्छी लेखिका हैं दोस्त !
कहानी बहुत मार्मिक थी पर पूरा विवरण बहुत ही खूबसूरती से किया गया है !
बहुत बहुत बधाई एसे ही आगे बढती रहो मेरी शुभकामनाये हमेशा तुम्हारे साथ हैं !
iske bhav..man ki satah ko cheerate hue....
bahut badiya...
Please visit my blog.
Lyrics Mantra
Banned Area News
मार्मिक रचना के माध्यम से अहम् सवाल ......
सुन्दर और मार्मिक कविता
आभार.
क्या हैं ये सब?
हमारी बिगडती मानसिकता...
haan hamari mansikta sach me bigad gayee hai...
itna marmik chitran ..lagta hai kuchh ek dum se samne se gujar gaya...jo hona nahi chahiye tha...!!
बहुत गहरे सोच लिए भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ।
निरंतरता बनाये रखने से कविताई में निखार आएगा ।
शुभकामनायें ।
Bahut hi Marmik Varnan.............
Main to chahungi Betiyaan hi unke ghar ki Shan Bane, Kya maloom apni beti ko dekh wo sambhal jaye or ye darindagi chhod de....
waise bhi Betiya nhi ye sab Bete hi kiya karte hai
जीवन की कडवी सच्चाई को आपने एक आईने की तरह साफ़ दिखा दिया . अमूमन लोग समाज की इस भयानक बुराई पर सीधे लिखने से hichkichate he par aapne is kam umr me likha wo wakeyi kabile tarif he
डिम्पल जी पहली बार आपके ब्लॉग में आना हुआ
बहुत खूब लिखा आपने कहानी औरत की और पर्व आजादी का मैंने दोनों पढ़ा विकृत मानसिकता और समाज की विकृत सोच दोनों ने ही मानवता को बदनाम किया है आप बधाई की पात्र है की आपने समाज को आइना दिखने का कार्य किया है नहीं तो आज ब्लॉग में जिस तरह की रचनाये आ रही है उनमे ज्यादातर ब्लोगर नारी सोंदर्य और नारी के देह पर ही रचनाये लिख रहे है अपने प्रयाश को सतत बनाये रखियेगा .............
naari ka dard...maarmik kavita.....bahut bahut bahut sunder..........
naari ka dard...maarmik kavita.....bahut bahut bahut sunder..........
बहुत ही प्रभावशाली रचना
उत्कृष्ट लेखन का नमूना
लेखन के आकाश में आपकी एक अनोखी पहचान है ..
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता है
बहुत मार्मिक प्रस्तुति..मन को बहुत विचलित कर दिया..
बहुत ही प्रभावशाली लेखन है आपका, वाकई आपके चेहरे और आपकी पहचान में अब ज्यादा फासला नहीं होगा. शुभकामनाएं.
सोए हुए समाज को झंझोड़ कर
उठाती हुई कविता,
नए दौर की विषम स्थितियों का
कठोर चित्रण... साहस का शुक्रिया
मन अवसाद से भर आया...
god poem
bahut bhavapoorn marmik rachana ...abhaar
मन को झकझोर गयी आपकी कविता
Pathetic !
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता
आपने पीड़िता की मनोदशा का सही चित्रण किया है।
जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
Bakhubi bayan kiya hai apne ek pidit ki bhavnao ko ..........bahut hi marmik ,dil ko chu gayi .....
http://amrendra-shukla.blogspot.com/
डिम्पल जी आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आगमन हुआ है और बहुत ही मार्मिक भावों से परिपूर्ण रचना है!
मेरा एक दोस्त जोधपुर का रहने वाला जो इस समय आगरा कॉलेज मे पड़ता है! आपके ब्लाग आकर मुझे तो खुश मिली है !
man ko cu gayi aapki rachna........behat sanvedansheel rachna k liye aapko badhai
.http://amrendra-shukla.blogspot.com
jai shri krishna.....
mast
आपके आने का धोका सा हुआ है..
नहीं नहीं देर से ही सही आप आयीं , आपका एक बार और शुक्रिया ..डिम्पल!
चाहे अपराधी को फांसी हो जाए,पर भुगतती तो वास्तव में स्त्री ही है।
काश, उन्हें भी शर्म आती।
---------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
Dimple,
you have given a realistic description of a tragic situation in our society in your poem. In your other poems also, you have touched the points related to women situation in society.
But I want to say one more thing. Why we always magnify these issues in our newspapers, essays, story or poetry. I think we should divert our people's mind on positivity. For example poetry on love, art, nature should be written so we can stay in healthy emotions and this will lead to eradicate such problem with roots.
If you can imagine so beautifully, you should write on love, divinity, nature etc.
Sorry, if I am wrong.
मेरी नई पोस्ट "बापू को श्रद्धाञ्ञलि"पर आपका स्वागत है!
Bahut sunder ...
mujhe ye kavta kam ....kahani ke roop me jyada pashand aai.
aap mere blogg par bhi padhare aur hamara hausala badhaye.
सुन्दर और सार्थक रचना. ब्लॉग पर पधारकर हौंसला बढाने के लिए आपका साधुवाद.
आदरणीया डिंपल माहेश्वरी जी ! यदि आप 'प्यारी मां' ब्लॉग के लेखिका मंडल की सम्मानित सदस्य बनना चाहती हैं तो
कृपया अपनी ईमेल आई डी भेज दीजिये और फिर आपको निमंत्रण भेजा जाएगा । जिसे स्वीकार करने के बाद आप इस ब्लाग के लिए लिखना शुरू
कर सकती हैं.
यह एक अभियान है मां के गौरव की रक्षा का .
मां बचाओ , मानवता बचाओ .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/02/blog-post_03.html
सच के धरातल पर लिखी हुई बहुत मार्मिक रचना है.......
मार्मिक कविता. बहुत कुछ सोचने पर विवश करती हुई.बधाई.
डिम्पल जी कृपया एक बार इस ब्लाग को देखें ।
यहाँ पता नहीं किसने ?? आपके बारे में कुछ लिखा है ।
http://blogworld-rajeev.blogspot.com
ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा...मार्मिक रचना
आप भी आइए
जहां महिलाओं का समुचित आदर नहीं ,,
वो पूरा का पूरा समाज ही
सभ्य कहलाने के लाइक नहीं....
ऐसे निर्भय लेखन के लिए
अभिवादन स्वीकारें .
आपका स्वागत करती सुगना फाऊंडेशन-
श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर"दाता" के 99 वि जयंती पर विशाल शोभायात्रा में आपका स्वागत सुगना फाऊंडेशन-मेघालासिया करता है गुरुदेव गादीपति श्री 1008 श्री तुलछा राम जी महाराज का स्वागत एवमं शरबत पान रखा है जोकि 5 वि रोड कोहिनूर सिनिमा के आगे होगा इसमें आप सभी पधारे ....सवाई सिंह राजपुरोहित
आप सब से निवेदन है
आप सभी भाई बंधुओ से निवेदन है की श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज जयंती कार्यक्रम में आप अधिक से अधिक संख्या में भाग ले ओर रैली को सफल बनावे
* फाउंडेशन का कार्यक्रम स्थल *
सुगना फाउंडेशन-मेघालासिया , जोधपुर
राजाराम जी का मन्दिर के पास, कोहिनूर सिनिमा के आगे,
पाचवी रोड, जोधपुर(राजस्थान)
श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर जयंती पर आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
or
जयंती पर आज निकलेगी शोभायात्रा
**************************
bahut hi sundar or bhaavpurn kavita,, man bhar aaya pad kar, aapke blog par pehli dafa aana hua, aage bhi aata rahuga.. shukriya
Please Visit My Blog for Hindi Music, Punjabi Music, English Music, Ghazals, Old Songs, and My Entertainment Blog Where u Can find things like Ghost, Paranormal, Spirits.
Thank You
samaj ke dukhti rag ki akkasi kar rahi hain, pranto hame un karno ko talashna hoga jis se mahila warg ki sahi raksha ki ja sake, & mahila jiwan ke har roop m surkchit ho,
कुछ भावनाएं मेरी आँखों से बहती जाती हैं , शब्द धुंधलाये होते हैं ...........
samaz nhi sudhrega to ladkiya apne fesle par jina shuru kar degi ..fir inhe maa-baap bhi nhi rok sakenge...
वाकई ऐसा ही गुज़रती है...आपने पीड़िता की मनोदशा का सही चित्रण किया है।
अब नयी पोस्ट डाल दीजिये ....!
beautiful dear.....really nyc
दिल को छू गई आप की रचना
आभर तथा बधाई स्वीकार करें।
Kavita bahut hi achchi likhi hai.. Aapka introbhi kafi interesting laga.
Excellent poem. I enjoyed to read this topic. It's great stuff.
आपके भाव बहुत मार्मिक है पढ़ के अच्छा लगा | पर कविता संयोजन कि दृष्टि से आपके भाव कविता का
रूप नही ले पाए है
आपके भाव बहुत मार्मिक है पढ़ के अच्छा लगा | पर कविता संयोजन कि दृष्टि से आपके भाव कविता का
रूप नही ले पाए है
very nice blog dear..............
जाने माने विषय पर लिखना,और सबसे अलग-थलग लिखना एक कला होती है डिम्पल जी और मेरा ये मानना है की इस विषय पर आपने एक खुबसुरत,मार्मिक और उम्दा कविता की रचना कर डाली हैं|
आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन हैं|
please visit my blog at least once...
Thank You
happy birth day to u,aapka blog acha laga
my self shri ram
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
If you are looking for buy dedicated server in India take a look on buydedicatedserver company for affordable price.
Buy Dedicated Server
It is the type of organization that makes the individual to explore their website on the internet that can be accessed by everyone who is using the internet. A Web Hosting service pertains to provide the space on the server and hence can be owned for the use of the clients.
Cheap Web Hosting
A SAS Training in Pune is becoming more popular from recent years and thus is the sequence of steps that makes us to submit this course for the purpose of execution.
Sas Training in Pune
thanks for sharing this information.
techitop
pdfdrive
jio rockers telugu
www.mpl.live
oreo tv for pc
Post a Comment