इंसानियत को इन्सान भुलाता चला
प्रभु का आशीष भी अब हैं टला
अश्लील चित्रों तक सीमित हैं कला
नौजवानों से शिकायत करूँ क्या भला
चहुँ दिस घना अंधियार छा रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
नेता ने खाकर डकार न ली
अभिनेता ने कुचल कर सुधि न ली
भारत में न खिली राम राज्य की कलि
न हिंद को असली स्वतंत्रता मिली
सैनिकों को जगा देश सो रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
मनुष बन गया हैं अमीरों का चेला
भारत बन गया हैं बेईमानो का मेला
सूर्य अस्त होने की कैसे यह वेला
देश के नेताओं ने कैसा खेल खेला
आतंकवाद अपनी जड़ें फैला रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
नारी की अस्मत खुले आम हैं लुटते
अधिकारी इमान सरे आम हैं बेचते
दंगे नित नए बहाने हैं ढूंढते
देशी आग में विदेशी ताप हैं सकते
सोने की चिड़िया नाम कहाँ खो रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा.. |
Wednesday, May 19, 2010
भारत में आज यह क्या हो रहा |
प्रस्तुतकर्ता Dimple Maheshwari पर 6:03 PM
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53 टिप्पणियाँ:
वाह!! लाजवाब रचना ......आपने हमारे देश की मौजूदा स्थिति को व्यक्त और चिंतन किया है .......बहुत बहुत बधाई ,
बहुत ही बढ़िया,विश्लेष्णात्मक प्रस्तुति!इसके लिए आपको बधाई!
कुछ बहुत अच्छा पढता हूँ तो कई बार मै खुद को रोक नहीं पाता...
दो पंक्ति....
अब हमें ही आहुति बन यज्ञ सफल करवाना है,
भारत को फिर से विश्व-विजयी बनाना है!
कुंवर जी,
"नारी की अस्मत खुले आम हैं लुटते"
Isme nariyon ki bhagedari bhi kam nahi hai, modern banne ke chakkar mein khud ko duniya ke show room par laga rakha hai
Bahut Achcchi Rachna hai. Keep it up
ek ek sabdh dil main utarte chale gaye.
is khubsurat rachna ke liye aapko badhai.
वाह! क्या बात है!बहुत सुन्दर!
kya baat hai bahut khub...
achha likha hai aapne....
kya baat hai bahut khub...
achha likha hai aapne....
aur haan.....
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mere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
http://i555.blogspot.com/
waaaah kya kavita hai .i will give u 8/10 .aur aapki agli rachna ka intjaar rahega .
sachmuch samashyaon ka samavesh hai hamari duniya. kuch bhi kaho lekin rahna to yahi hai so keep it up fight .....................
दंगे नित नए बहाने हैं ढूंढते
देशी आग में विदेशी ताप हैं सकते
सोने की चिड़िया नाम कहाँ खो रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा.. |
....बहुत सही चित्रण किया आपने..सुन्दर कविता..बधाई.
____________________________
'शब्द-शिखर' पर- ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!
भारत बन गया हैं बेईमानो का मेला
सूर्य अस्त होने की कैसे यह वेला
देश के नेताओं ने कैसा खेल खेला
आतंकवाद अपनी जड़ें फैला रहा ,
भारत में आज यह क्या हो रहा |
.....yatharth chitran...
Saarthak rachna ke liye dhanyavaad
VERY - very NICE
"भारत में आज यह क्या हो रहा" ॰॰॰॰॰ बहुत शानदार रचना है ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ आज के विषम माहौल का अच्छा चित्रण किया है आपने एक एक शब्द में दर्द झलकता है ॰॰॰॰॰॰ डिंपल जी शुभकामनायें॰॰॰॰॰
jhanjhodh dene waali kavita :)
bahut hi umda kaita hain aapki.
mujhe bhi sikhna hai aisa likhna.kripya hamare blog par jakar kuchh tippani kare taki hum apni kavitaye sudhar sake.
:)
www.meriankahibate.blogspot.com
baba ne rakh di hai baste me kitab mazhab ki mere
dar lagta hai kahin kopiyan na jal jaye.
kaisi hain aap?
bahut achchha likha hai.
aap ko dekhakar meeraji ki yaad aati hai.
late samay mila rachna 4 bar padhi
dil chahta hai bus roo doon or
gunahon ko aansuon se dho doon.
अश्लील चित्रों तक सीमित हैं कला
नौजवानों से शिकायत करूँ क्या भला
bahut sundar chitran shabdo ke madhyam se ukera hai.
desh ko yah kya ho raha hai kiso khabar
sab apne tak hai simte baki se bekhabar
मौजूदा स्थिति का बखूबी चित्रण किया गया है।
Dimple you are so simple. आप की यह रचना पढ कर कवि प्रदीप याद आ गये. KEEP IT UP.
nice
meri pichhli kavita ko aapka intzaarr raha....
mer nayi kavita
तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
regards
http://i555.blogspot.com/
मनुष बन गया हैं अमीरों का चेला
भारत बन गया हैं बेईमानो का मेला
सूर्य अस्त होने की कैसे यह वेला
देश के नेताओं ने कैसा खेल खेला
वर्तमान में कुछ ऐसे ही हालात हैं दर्श के ... सफल चित्रण किया है आपने ...
सटीक वर्णन ।
इस रचना को सीधे सीधे नहीं पढ़ सका तिरछी नज़रों से पढ़ा, भारत कि इस तस्वीर के निर्माण में अपनी भागीदारी महसूस होने लगती है. मुझे नीरज जी कि दो लाइने याद आ रही हैं.
" जो लूट ले कहार ही दुल्हिन की पालकी - हालत यही है आजकल हिन्दोस्तान की"
sunder geet! sammecheen... samsaamyik!
It's my first visit of this blog. Some poems I liked very much are "kokh me aatankwaad", "Vidhwa", "Holi". As I opened the blog, the theme and intro of your blog, seems very nice.
Kuch khoobsurat he aap me aur kuch khoobsurti ko dekh aur pahchaan paane ki nazar bhi. jaise jaise ye dono cheejen aur nikharti jayegi, aapki poetry aur bhi sanwarti jaayegi.
regards
www.maitreyamanoj.blogspot.com
डिम्पल की एक और संवेदनशील और अनुपम कृति
वैश्विकरण के नाम पर संस्कृति की हत्या दिखती है इस कविता में...
सामयिक सन्दर्भ की सुन्दर रचना ।
प्रशंसनीय ।
Aapki aur meri favourite kitaab hai: My experiments with truth!
Kavita mein jo kuchh kaha hai aapne sahee kaha hai!
Sochta hoon, Gandhi hote to kya karte?
अति सुन्दर... लाजवाब रचना...
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
हाँ सचमुच कविता बहुत सुंदर है, लोग बस पढ़ते है आनंद उठाते है और भूल जाते हैं। और मुझे यही बात अच्छी नहीं लगती है।
एक कदम हम चले, एक कदम तुम चलो,
आओ मिलकर दुनिया बदलें।
कुंवर जी का कमेंट सबसे अच्छा लगा।
Aapki chinta vaazib hai. Bilkul sahi aur satik likhaa hai. Aapki is sunder rachna ke liye aapka aabhaar.
hey, so u r a navodain....me too :)
very good poem on todays conditions.
"भारत में आज क्या हो रहा"
आपकी इस रचना ने सटीक वर्णन किया है आज की परिस्थितियों का । उम्मीद है कभी तो सोई हुई जनता जागेगी और फिर से इसे सोने का देश बनायेगी ।
डिम्पल , जब तक इन्सान अपना ' मै ' नही छोड़ता तब तक उसका नाम आगे नही आता , किसीने कहा है की नाम में क्या रखा हैं लेकिन नाम के बिना कुछ नही होता , आप में एक जज्बा हैं कुछ कर दिखने का , आप हिम्मत नही हरना, अगर किसी वक्त कमजोर पड़ो तो सबका मालिक एक शिरडी 'साईं' को याद करना । आपके कामयाबी के लिए साईं चरनोसे ढेर सारी शुभकामनाये , आपके बिचार पढ़कर बहोत प्रसन्नता हुई ।
तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=
सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
बहुत शानदार रचना है |
Waiting 4 Da New One...
kuchh nahin ho rahaa dimpel....bas das karod logon vala india....nabbe karod logon vaale bhaarat ko khaaye jaa rahaa hai.....!!!
बहुत ही लाजवाब और सुंदर रचना....
--
www.lekhnee.blogspot.com
Regards...
Mahfooz..
बेहतरीन! कमाल की रचना!
देश के हालात का सटीक खाका खीचा है आपने। विचारोत्तेजक कविता के लिए बधाई स्वीकारें।
…………..
पाँच मुँह वाला नाग?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
डिम्पल जी आपका ब्लॉग देखा बहुत सुन्दर है. नारी के जीवन की गाथा लिखने का जो आपने प्रयास किया है काफी काबिलेतारीफ है ईश्वर आपकी साड़ी मनोकामनाएं पूरी करें.
आपकी यह कृति पड़कर मुझे मेरी कल्पनाएँ मजबूर कर देती है की मेरे मन में जो है में भी उससें उड़ेल दूं. यह सब सोचकर तो बस एक ही ख़याल आता है मन में क्या इस पृथ्वी पर मनुष्य जैसी भी कोई चीज है सच कहूं तो मुझे तो मनुष्य ईश्वर का बनाया हुआ एक सबसे भयावह और सबसे खतरनाक जानवर नजर आने लगता है बस जिसके पास सोचने और समझने की सकती है...
वैसे आपकी कृति लाजवाब है. आपका यह सार्थक प्रयास हर दिशा वर्ग में अपना असर दिखाएगा ऐसे ही नारी शक्ति बनी रहे आप सदा. आपकी कवितायें अत्यधिक सुदर और प्रेड़नादायक है.
धन्यवाद
योगेश चन्द्र उप्रेती
जय श्री कृष्ण
भारतमें यह क्या हो रहा...?
इंसानकी विस्मृत इंसानियतको शब्दोंमें संजोकर आजाद भारतकी आजादीका नया अंदाज बहुत ही सुन्दर तरीकेसे डिम्पलजी ने यहाँ प्रस्तुत किया है| माँ सरस्वतीकी आप पर विशेष कृपा है| देशकी जागरूकता में आपका यह योगदान अविस्मरणीय है, रहेगा| आप हमारी मित्र हो ये मेरे लिए बहुत ही फक्रकी बात है| इश्वर आपको ऐसे ही सुन्दर प्रेरणा देता रहे और माँ सरस्वती आपकी कलम में आकार देशके पुनरुत्थानमें आपकी सहायक हो ऐसी मेरी प्रार्थना है|
सौरभ मिश्रा
लोग अपनों से नाता तोड़ देते हें,
रिश्ता कैसे गैरों से जोड़ लेते हें,
हमसे एक फूल तोडा नहीं जाता,
नाजाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हें..!
yun to yahan ittifaq se hi aana ho gaya ............lekin itne lambe samay tak aapke shashakt lekhan se vanchit rahne ka afsosh hai .
"लाखो की भीड़ मे,अपने चेहरे की अब तक कोई अलग पहचान नहीं बना पायी हूँ,पर उस पहचान और मेरे बीच अब ज्यादा फासला नहीं हैं.
"
ni:sandeh aap ye fasla khatm kar chuki hai ..
bandhai swikaren ........shashakt or sarthak lekhan ke liye.
राष्ट्रमंडल खेल : अभिवादन के नाम पर गालों का चुंबन नही
भारत एक सांस्कृतिक देश है, यहां की अपनी एक अलग संस्कृति है। इसका असर आगामी तीन अक्टूबर से राजधानी में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भी दिखे, इसके लिए पर्यटकों के लिए "क्या करे" व "क्या नहीं करे" के बारे में कुछ जरूरी सलाह है।
यदि आप किसी से मिलते है तो अभिवादन के लिए गालों पर चुंबन नहीं ले बल्कि नमस्ते करे। भारत में अभिवादन का तरीका नमस्ते का है। नमस्ते करते समय दोनों हाथों को जोडकर उन्हें चेहरे के सामने ले जाते है और फिर सिर को थोडा झुकाकर अभिवादन करते है। साथ ही यह भी है कि यदि आप पुरूष है और किसी महिला या लडकी से परिचय करते है आप खुद हाथ मिलाने की पहल न करे। यदि आप महिला है और आपका परिचय पुरूष से कराया जाता है तो यह आप पर निर्भर करेगा कि आप हाथ मिलाने के लिए पहल करे या नहीं।
हर देशभक्त की यही व्यथा है......नित खुलते घोटालों ने विश्वास हिला दिया है.....
Jaha tak abhiwquti ki baat ha bahut hi gahri aur lajabaab Rachna ha
me bas itna kahna chahunga ki samaaj ka kuch ujla pahlu bhi dekho
Gulaab me bhi kante hote ha par khusbu bhi hoti ha
samaj ko nai disha dena apna hi kaam ha aur buraiyo ko door karna bhi apna hi kaam ha
बहुत सुंदर रचना लिखी है है आपने कुछ में भी कहना चाहूँगा . . .
भारत के लोगो बोलो आज यह कैसी घडी है . . .
चलें गयें अंग्रेज लेकिन अंग्रेजी यही खड़ी है . . .
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